नोटबंदी के आंकड़ों पर विपक्ष के द्वारा हमले झेल रही मोदी सरकार अब जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में आई भारी गिरावट की वजह से और भी घिर गई है। जीडीपी का तीन साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंचने की घटना को विपक्ष द्वारा नोटबंदी से जोड़कर देखा जा रहा है।
जिसका डर थ्ाा वही हुआ
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है, “हमारी बुरी आशंका सच हो गई है, छह फीसदी से कम ग्रोथ एक तबाही है।”
Our worst fears have come true. Sub-6% growth is a catastrophe.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) 31 August 2017
उन्होंने आगे लिखा, “अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी है, विकास धीमा है, कम निवेश और कोई रोजगार नहीं है, यह एक विस्फोटक कॉकटेल है।”
The slide in economy continues. Slow growth, low investment and no jobs. An explosive cocktail.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) 31 August 2017
उन्होंने जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट से हुए नुकसान के बारे में बताया कि सकल घरेलू उत्पाद में 1% की कमी 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान है। 2% की गिरावट 3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान है।
1% decline in GDP is a loss of Rs 1.5 lakh crore. 2% decline is a loss of Rs 3 lakh crore.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) 31 August 2017
वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कविता के अंदाज में सरकार पर तंज कसा। उन्होंने जीडीपी की वृद्धि दर में आई कमी को नोटबंदी से जोड़ते हुए लिखा है, “नोटबंदी: सरकार को कोई अनुमान नहीं था/ ध्ान की हेराफेरी करने वालों को उनका हिस्सा मिल गया / जबकि लोग कतार में थे।”
Demonetisation :
The government
had no clue
the launderer
got his due
while people
were in queuesGDP : 5.7% (April-June quarter)
— Kapil Sibal (@KapilSibal) 1 September 2017
जीडीपी की दशा
वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रेल-जून) में जीडीपी की ग्रोथ तीन साल के न्यूनतम स्तर पर 5.7 पर आ गई है। लगातार तीसरी तिमाही में नोटबंदी के चलते जीडीपी की ग्रोथ पर असर दिखाई दिया है। मैन्युफैक्चरिंग से जुडे उद्योग-धंधो में सुस्ती को जीडीपी ग्रोथ में कमी की प्रमुख वजह माना जा रहा है।
इससे पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 7.9 फीसदी थी।