राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने टाटा संस को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से एक निजी कंपनी में परिवर्तित करने के मामले में कोई आदेश देने से इनकार कर दिया। एनसीएलएटी ने शुक्रवार को कहा कि विवाद लंबित रहने तक साइरस मिस्त्री कैंप को टाटा संस में उसकी हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता। मिस्त्री कैंप मामले में यथास्थिति बनाए रखने की मांग कर रहा है।
चेयरपर्सन जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी की दो सदस्यीय बेंच ने कहा टाटा संस के पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित होने के मुद्दे पर वह बाद में फैसला करेगी। इस दौरान बेंच ने मिस्त्री की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और टाटा संस सहित अन्य पक्षों से 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। एनसीएलएटी ने मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की है। इससे पहले एनसीएलएटी ने 14 अगस्त को साइरस मिस्त्री कैंप द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मिस्त्री ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधीकरण (एनसीएलटी) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने कंपनी के चेयरमैन से हटाने के खिलाफ उनकी याचिका को रद्द कर दिया था। पिछले साल सितंबर में, टाटा संस ने शेयरधारकों से अपने आप को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित करने की मंजूरी हासिल की थी। इस कदम का उद्देश्य साइरस मिस्त्री परिवार को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी किसी बाहरी व्यक्ति को बेचने से रोकना है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी में शेयरधारकों को वैध तरीके से अपनी हिस्सेदारी किसी भी बेचने की आजादी होती है, लेकिन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के शेयरधारक किसी बाहरी निवेशक को अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकते हैं।