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एनसीएलएटी ने साइरस इन्वेस्टमेंट बनाम टाटा संस मामले में अपने फैसले में संशोधन से किया इनकार

टाटा सन्स विवाद में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने अपने फैसले में संशोधन करने से...
एनसीएलएटी ने साइरस इन्वेस्टमेंट बनाम टाटा संस मामले में अपने फैसले में संशोधन से किया इनकार

टाटा सन्स विवाद में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने अपने फैसले में संशोधन करने से सोमवार को इनकार कर दिया। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने इसकी अपील की थी। आरओसी चाहता था कि ट्रिब्यूनल 18 दिसंबर के अपने फैसले से गैर-कानूनी शब्द हटा ले। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि टाटा सन्स को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने की मंजूरी देने का आरओसी का फैसला गैर-कानूनी था।

दरअसल, आरओसी की दलील थी कि मंजूरी नियमों के मुताबिक ही दी गई थी। उसने 23 दिसंबर को ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने कहा है कि उसके फैसले से आरओसी पर कोई कलंक नहीं लगा है।

सायरस मिस्त्री परिवार टाटा सन्स को प्राइवेट कंपनी बनाने के खिलाफ था

अपीलेट ट्रिब्यूनल ने 18 दिसंबर को सायरस मिस्त्री मामले में फैसला दिया था। उसने मिस्त्री को फिर से चेयरमैन नियुक्त करने के साथ ही टाटा सन्स को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने के फैसले को भी बदलने के आदेश दिए थे। सितंबर 2017 में टाटा सन्स को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने के लिए शेयरधारकों ने मंजूरी दी थी। उसके बाद आरओसी ने टाटा सन्स को प्राइवेट कंपनी के तौर पर दर्ज किया था। सायरस मिस्त्री परिवार इसके खिलाफ था। मिस्त्री परिवार के पास टाटा सन्स के 18.4% शेयर हैं।

साइरस मिस्त्री ने रविवार को दिया ये बड़ा बयान

इससे पहले टाटा सन्‍स के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रविवार शाम को बड़ा बयान दिया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा अपने पक्ष में फैसला आने के बावजूद वह टाटा समूह में कोई पद लेने के इच्‍छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि वह टाटा समूह के हितों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय ले रहे हैं। क्‍योंकि टाटा समूह के हित उनके या किसी भी अन्य व्यक्ति के हितों से ऊपर हैं और अधिक महत्वपूर्ण है।

टाटा सन्‍स ने सुप्रीम कोर्ट में एनसीएलएटी के फैसले को दी है चुनौती

उल्‍लेखनीय है कि एनसीएलएटी ने बीते साल दिसम्‍बर में अपने फैसले में टाटा सन्‍स के चेयरमैन पद से मिस्त्री की बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए उन्हें दोबारा इस पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। मिस्त्री का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब टाटा सन्‍स ने सुप्रीम कोर्ट में एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती दी है। मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन और समूह की कंपनियों के निदेशक मंडलों से साल 2016 में निकाल दिया गया था।

मिस्त्री ने कहा था कि जारी दुष्प्रचार को खत्म करते हुए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनसीएलएटी का निर्णय मेरे पक्ष में आने के बाद भी मैं टाटा सन्‍स के कार्यकारी चेयरमैन एवं टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसेज और टाटा इंडस्ट्रीज के निदेशक का पद नहीं संभालना चाहता हूं। हालांकि, मैं अल्पांश शेयरधारक के नाते अपने अधिकारों की रक्षा करने और निदेशक मंडल में स्थान पाने के लिए सभी विकल्पों के साथ पुरजोर कोशिश करूंगा।

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