सायरस मिस्त्री को उस समय बड़ी जीत मिली जब नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने देश के सबसे बड़े उद्योग समूह टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के पद पर उनकी बहाली का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने अपने आदेश में टाटा संस के मौजूदा चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध करार दिया है। एनसीएलएटी ने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को भी कामकाज से दूर रहने का आदेश दिया है। वह इस समय समूह के चेयरमैन इमेरिटस हैं।
टाटा कंपनियों के शेयरों में गिरावट
इस फैसले के बाद नमक से सॉफ्टवेयर तक तमाम क्षेत्रों में सक्रिय टाटा समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई। टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स और टाटा ग्लोबल बेवरेजेज में 4.14 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।
टाटा समूह को अपील के लिए चार हफ्ते की मोहलत
एनसीएलएटी ने एन. चंद्रशेखरन की एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति को भी अवैध करार दे दिया है। हालांकि ट्रिब्यूनल ने कहा है कि मिस्त्री की बहाली का आदेश चार सप्ताह के बाद ही लागू होगा ताकि टाटा समूह फैसले के खिलाफ अपील कर सके। एनसीएलएटी ने एनसीएलटी के फैसले को खारिज करते हुए टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में बदलने के फैसले को भी खारिज कर दिया।
जुलाई में पूरी हुई थी सुनवाई
टाटा संस के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटाने के फैसले को उन्होंने और दो इन्वेस्टमेंट कंपनियों ने चुनौती दी थी। एनसीएलएटी ने इस मामले में लंबी चली सुनवाई इस साल जुलाई में पूरी की थी और अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय की अगुआई वाली एनसीएलएटी की दो सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाया।
एनसीएलटी ने खारिज की थी मिस्री का याचिका
मिस्त्री के शापूरजी पलोनजी परिवार के पास टाटा संस की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है। उन्होंने टाटा संस और रतन टाटा सहित 20 अन्य लोगों पर उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया था। मिस्त्री की कंपनियों सायरस इन्वेस्टमेंट्स प्रा. लि. और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन द्वारा उन्हें हटाने के फैसले को दायर याचिकाओं को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मिस्त्री ने एनसीएलएटी में व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर की।
मिस्त्री को 2016 में टाटा संस से हटाया गया
गौरतलब है कि मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के छठवें एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद पर 2012 में नियुक्त किया गया था। लेकिन कंपनी के परिचालन और नीतियों को लेकर रतन टाटा से गंभीर मतभेद होने के कारण उन्हें अक्टूबर 2016 में हटा दिया गया था। इसके बाद से ही टाटा समूह और सायरस मिस्त्री के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। एनसीएलएटी का ताजा फैसला मिस्त्री की बड़ी जीत मानी जा रही है।