पिछले साल दिसंबर तक लगभग 2,200 कंपनियां बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एंव विनिमय बोर्ड (सेबी) को जुर्माना चुकाने में असफल रही हैं। यह जुर्माना विभिन्न उल्लंघनों के कारण लगाया गया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डिफॉल्टरों में व्यक्तियों के साथ-साथ कंपनियां भी शामिल हैं। इन पर प्रतिभूति बाजार से जुड़े विभिन्न अपराधों में लिप्त रहने पर सेबी द्वारा जुर्माने लगाया गया था, जिसका भुगतान करने में यह विफल रहे।
इनमें से कुछ मामले लगभग दो दशक पुराने हैं। कुछ मामलों में जुर्माने की राशि 15,000 रुपये है, जबकि अधिकांश मामलों में व्यक्तिगत जुर्माना लाख रुपये में और अन्य में कुछ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इनमें कुछ भुगतान तो 2000 से लंबित पड़े हैं, जबकि कई मामले अदालत और अन्य मंचों के पास लंबित है।
सेबी की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, दिसंबर 2017 तक जुर्माने का भुगतान नहीं करने वाले डिफॉल्टरों की संख्या 2,183 है। बकाये की वसूली के लिए सेबी बैंक खातों के साथ- साथ डीमेट खातों तथा अन्य परिसंपत्तियों पर रोक लगाने की अपनी शक्ति का प्रयोग करने की कोशिश कर रही है।