इस विशेष कार्य दल में विभिन्न जांच और प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्य शामिल हैं। कार्य दल ने बैंकों द्वारा नए रेड फ्लैग इंडिकेटर्स यानी खतरे पर संकेतकों के निर्धारण पर भी जोर दिया है ताकि वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) उनके लेनदेन और गतिविधियों की पहचान कर सकें और जांचकर्ताओं को सतर्क कर सकें।
कार्य दल से जुडे़ अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न एजेंसियों को खोखा कंपनियों के बारे में सूचना देने के लिए कहा गया है। ये एजेंसियां विशिष्ट कानून के तहत आयकर विभाग को इसके बारे में सूचना देंगी ताकि वह उनके खिलाफ बेनामी लेनदेन कानून और आयकर कानून के तहत मामला दायर कर सके और अदालतों में मुकदमे की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
ऐसे मामले जो विदेशों में जमा काले धन से जुड़े हैंमें नए काला धन रोधक कानून और मनी लांड्रिंग रोधक कानून के तहत मामला दायर किया जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि सभी एजेंसियों से ऐसी कंपनियों की पहचान इस महीने के अंत तक करने के लिए कहा गया है ताकि कार्रवाई की जा सके। शुरुआती अनुमान के मुताबिक इस तरह की कुल पंद्रह लाख कंपनियों में से दस लाख कंपनियां संदिग्ध गतिविधियों की श्रेणी में आती हैं।