देश की आर्थिक विकास के मोर्चे पर सरकार के लिए चुनौती वास्तविक दिखाई दे रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी आर्थिक विकास का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी क दिया है। इससे पहले भी कई संगठन विकास दर धीमी रहने का अनुमान जता चुके हैं। रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कटौती के साथ ही विकास दर अनुमान भी जारी किया है।
पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना और कठिन
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इस अनुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में यह अनुमान जताया गया। धीमी पड़ती विकास दर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इसलिए और बड़ी चुनौती है क्योंकि उसने 2025 तक देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर (350 लाख करोड़ रुपये) होने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना विकास दर 9 फीसदी से ज्यादा रहनी चाहिए, जबकि रफ्तार घटने के संकेत मिल रहे हैं।
आईएमएफ ने भी घटाया था विकास दर का अनुमान
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी वित्त वर्ष 2019 और 2020 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटाया था। आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक अपडेट में वित्त वर्ष 2019 के लिए सात फीसदी और 2020 में 7.2 फीसदी का अनुमान लगाया था। इसमें 0.30 फीसदी की कटौती की गई थी। इससे भारत की घरेलू डिमांड अनुमान से ज्यादा कमजोर रहने के संकेत मिलते हैं।
खुदरा महंगाई नियंत्रण में रहेगी
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 3.5 से 3.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं दूसरी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 3.1 फीसदी रहने का अनुमान है।
बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दो स्थान गिरा था भारत
इससे पहले भारत से दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज भी छिन गया था। साल 2018 में अर्थव्यवस्था सुस्त रहने की वजह से विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत अब सातवें स्थान पर पहुंच गया है।