रिजर्व बैंक ने लगातार आठवीं समीक्षा में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। हर दो महीने में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को चार फीसदी पर ही रखा गया है। बैंक आरबीआई से जिस ब्याज पर कर्ज लेते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं। इसके बढ़ने पर खुदरा लोन पर भी ब्याज दरें बढ़ने की संभावना बन जाती है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बनी रहेगी, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (एमएसएफआर) और बैंक रेट 4.25 फीसदी पर रहेगा। रिजर्व बैंक ने पॉलिसी का रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखा है। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो दर में बदलाव किया था। तब इसमें 0.40 फीसदी की कटौती की गई थी।
केंद्रीय बैंक ने महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मार्च 2020 के बाद कई चरणों में रेपो रेट में 1.15 फीसदी कटौती की। इससे पहले 2019 से लेकर रेपो रेट में 1.35 फीसदी कटौती की गई थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के जाने और टीकाकरण में तेजी से अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही है। खरीफ फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। निर्यात मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सिस्टम में बढ़ी नकदी को कम करने के संकेत दिए। इस समय मौद्रिक सिस्टम में नौ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त नकदी है। इसे दिसंबर तक दो से तीन लाख करोड़ तक लाया जाएगा। महामारी में अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अतिरिक्त नकदी बढ़ाई गई थी। अब जब अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुधर रही है, आरबीआई इसे वापस निकालना चाहता है। इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए केंद्रीय बैंक ने बाजार से सरकारी बांड खरीदना बंद कर दिया है। हालांकि दास ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इसे दोबारा शुरू किया जा सकता है। पिछली दो तिमाही में आरबीआई ने 2.2 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बांड खरीद कर सिस्टम में नकदी डाली थी।