भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं और इसमें नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। आरबीआई ने रेपो रेट 4% पर बरकरार रखा है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट भी 3.35% पर बना रहेगा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कमिटी ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थित रहेगी जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (एमएसएफआर) और बैंक रेट 4.25 फीसदी रहेगा। पॉलिसी का रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखा गया है। केंद्रीय बैंक ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले, रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को ब्याज दरों में बदलाव किया था।
शक्तिकांत दास ने क्या कहा
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक बाजारों में कोविड-19 महामारी के चलते बहुत सी चुनौतियां आई हैं और भारत के सामने भी बहुत से चैलेंज रहे हैं जिनका सामना करने में आरबीआई ने अहम भूमिका निभाने की कोशिश की है। अब हम कोरोना से निपटने के लिए पहले से बेहतर स्थिति में है।
यह लगातार 10वां मौका है जब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले 22 मई, 2020 को मांग को गति देने के इरादे से रेपो दर में कमी कर इसे रिकार्ड निचले स्तर पर लाया गया था।
आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि समिति ने रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है और देश मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है।
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके उलट होता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा पर आरबीआई से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है।