देश में बैंकों में लोन डिफॉल्ट होने और एनपीए बढ़ने के लिए वेतन में देरी और कारोबारी सुस्ती सबसे बड़े कारक हैं। कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने के कारण वे व्यक्तिगत कर्ज का समय पर पुनर्भुगतान करने में नाकाम हो जाते हैं। यह तथ्य एक सर्वे में सामने आया है। हालांकि एक और तथ्य सामने आया है कि कर्ज लौटाने के मामले में महिलाओं का रिकॉर्ड पुरुषों से बेहतर है।
सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार दशक में बेरोजगारी चरम पर है और विकास दर पिछले छह साल के सबसे निचले स्तर पर है। बैंक खुदरा कर्ज यानी आम लोगों को व्यक्तिगत कर्ज देने पर ज्यादा निर्भर हैं क्योंकि मांग की कमी और आर्थिक सुस्ती के चलते कंपनियों की ओर से कर्ज की मांग बहुत कम है।यह खुलासा करते हुए पेटीएम समर्थित फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी फर्म क्रेडिटमेट ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, "मौजूदा मंदी देश भर में कर्ज वसूली को प्रभावित कर रही है।"
रिपोर्ट में पिछले छह महीनों के दौरान देश के सभी राज्यों में 40 बैंकों और कर्जदाताओं के दो लाख लोन खातों का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि कर्ज के भुगतान के लिए वेतन में देरी 36 प्रतिशत मामलों में मुख्य कारण रहा। जबकि दूसरे नंबर पर 29 फीसदी डिफॉल्ट बिजनेस में गिरावट के कारण हुए।
कर्ज चुकाने में महिलाएं बेहतर
इसके अलावा कर्ज न चुका पाने की वजह 12 फीसदी मामलो में बेरोजगारी, 13 फीसदी में मेडीकल इमरजेंसी और 10 फीसदी मामलों में माइग्रेशन हैं। दिलचस्प है कि सर्वेक्षण से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि करीब 82 फीसदी मामलों में कर्ज का भुगतान न करने में महिलाओं की तुलना में पुरुष कहीं ज्यादा हैं, जबकि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कर्ज चुकाने में बेहतर हैं। बकाया चुकाने में महिलाएं 11 फीसदी आगे हैं।
कर्ज लौटाने में बेहतर और बदतर शहर और जिले
शहरों में, मुंबई, अहमदाबाद और सूरत भुगतान के मामले में बेहतर हैं जबकि दिल्ली, बेंगलुरु और पुणे सबसे खराब। कर्ज की प्रतिबद्धताओं में ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार और गुजरात सबसे अच्छे राज्यों में हैं, तो मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और तमिलनाडु सबसे नीचे हैं।