भारतीय स्टेट बैंक ने सभी तरह फ्लोटिंग लोन की ब्याज दरें तय करने के लिए बाहरी बेंचमार्क रेपो रेट को अपनाने का फैसला किया है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव होने के साथ ही ब्याज दरों में असर दिखने लगेगा और फिलहाल रेपो रेट घटने के कारण ग्राहकों को फायदा मिलने लगेगा। बैंक लघु, मझोले उद्योगों, होम और अन्य रिटेल लोन के लिए रेपो रेट के आधार पर ब्याज दरों में बदलाव का फैसला एक अक्टूबर से लागू करेगा।
क्या फायदा होगा ग्राहकों को
होम और ऑटो लोन सहित सभी तरह के कर्ज की ब्याज दर रेपो रेट के साथ जोड़ने से रेपो रेट में बदलाव का असर ग्राहकों की ब्याज दरों में तुरंत आएगा। चूंकि इस समय रेपो रेट घटने के दौर में है, इसलिए ग्राहकों को रेपो रेट घटने का फायदा मिलेगा। बैंकों से शिकायत रही है कि आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती की तुलना में वे ब्याज दरों में कटौती कम और देरी से करते हैं जिससे ग्राहकों और उद्योगों को पूरा फायदा नहीं मिल पाता है।
आरबीआइ ने दिए थे निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक ने चार सितंबर को सभी बैंकों से पर्सनल, रिटेल लोन की ब्याज दरें रेपो रेट के साथ जोड़ने को कहा था। आरबीआइ ने लघु एवं मझोले उद्योगों की फ्लोटिंग ब्याज दरों को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने के लिए कहा था।
एक अक्टूबर से लागू होगी व्यवस्था
एसबीआइ ने आज एक बयान जारी करके कहा कि बैंक ने एमएसएमई, होम और अन्य रिटेल लोन की ब्याज दर बाहरी बेंचमार्क रेपो रेट से जोड़ने का फैसला किया है। रेपो रेट के आधार पर ब्याज दर में बदलाव की व्यवस्था एक अक्टूबर से लागू होगी।
आरबीआइ ने बैंकों को दिए थे ये विकल्प
आरबीआइ ने बैंकों विकल्प दिया था कि वे फ्लोटिंग रेट के लोन की ब्याज दरें रेपो रेट, तीन महीने या छह महीने ट्रेजरी बिल अथवा फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट (एफबीआइएल) की किसी भी बेंचमार्क मार्केट ब्याज दर के आधार पर तय करें। लेकिन एसबीआइ ने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इनके लोन की भी ब्याज दर रेपो रेट से जोड़ने का फैसला किया है। बैंक ने रेपो रेट के साथ फ्लोटिंग रेट के होम लोन को जोड़ने की पेशकश इसी साल एक जुलाई से दी थी। लेकिन नए नियामकीय दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के लिए बैंक ने स्कीम में बदलाव किए हैं।