बीते सितंबर के दौरान महंगाई की विरोधाभासी चाल ने सरकार के सामने मुश्किल पैदा कर दी है। एक ओर थोक महंगाई की दर घटकर 0.33 फीसदी पर रह गई जो चार साल से भी ज्यादा अवधि का न्यूनतम स्तर है। लेकिन खुदरा महंगाई की दर 3.99 फीसदी पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह से खाद्य वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी रही है। खास बात यह है कि खुदरा महंगाई दर चार फीसदी लक्ष्य को छूने वाली है। महंगाई बढ़ने की आशंका से भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दर और घटाने पर सतर्कता बरत सकता है।
एक माह में आधा फीसदी से ज्यादा बढ़ी महंगाई
सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर 3.99 फीसदी हो गई जबकि अगस्त में यह आंकड़ा 3.28 फीसदी पर था। जबकि पिछले साल सितंबर में खुदरा महंगाई दर 3.70 फीसदी थी।
सब्जियों की कीमतें 15.40 फीसदी बढ़ीं
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 5.11 फीसदी पर पहुंच गई जबकि अगस्त में खाद्य महंगाई 2.99 फीसदी थी। खाद्य वस्तुओं में सब्जियों की महंगाई 15.40 फीसदी बढ़ गई।
थोक महंगाई चार साल के निचले स्तर पर
दूसरी ओर, बीते सितंबर में थोक महंगाई की दर घटकर 0.33 फीसदी पर रह गई जो चार साल से भी ज्यादा अवधि का न्यूनतम स्तर है। यह सितंबर 2016 के बाद का सबसे निचला स्तर है। अगस्त में यह 1.08 फीसदी थी। वहीं पिछले साल सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.22 फीसदी थी।
अखाद्य वस्तुओं की थोक कीमतें घटीं
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार थोक महंगाई में सबसे ज्यादा गिरावट गैर खाद्य वस्तुओं में रही। गैर खाद्य वस्तुओं का सूचकांक इस दौरान 2.5 फीसदी गिर गया। फूल, कच्चा रबर, ग्वार सीड, कच्ची खाल, कपास, कॉयर फाइबर के मूल्य में भारी गिरावट दर्ज की गई।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी
सितंबर के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की दर 7.47 फीसदी रही। वहीं, गैर-खाद्य पदार्थों की कीमतों की वृद्धि दर 2.18 फीसद रही। सितंबर में फल, सब्जियां, गेहूं, मीट और दूध की थोक महंगाई दर 0.6 फीसदी रही है। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक में प्राइमरी आर्टिकल्स की हिस्सेदारी 22.62 फीसदी है। आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले छह महीनों के दौरान प्याज के दामों में असाधारण 122. 40 प्रतिशत की तेजी आयी है। इसके उलट कच्चे तेल 21.41 प्रतिशत, रसोई गैस 27.51 प्रतिशत और आलू में 22.50 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
ब्याज दर में कटौती आरबीआइ के लिए कठिन सवाल
थोक महंगाई दर में कमी और खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी से भारतीय रिजर्व बैंक के लिए द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के समय ब्याज घटाने पर फैसला करना आसान नहीं होगा। जबकि सुस्ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार ब्याज दरों में और गिरावट चाहती है। आरबीआइ ब्याज दर निर्धारण के लिए खुदरा महंगाई दरों पर गौर करता है। खुदरा महंगाई की दर भले ही चार फीसदी के लक्ष्य के भीतर है लेकिन इस आंकड़े को छूने वाली है।