मोदी सरकार ने प्रॉविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज में कटौती कर दी है। अब ईपीएफओ के तहत मिलने वाले पीएफ की ब्याज दर को 8.50 फीसदी से घटाकर 8.10 फीसदी करने का फैसला ले लिया गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को खासा नुकसान झेलना पड़ेगा।
एजेंसी के अनुसार घटाई गई ब्याज दर दर पिछले करीब चार दशकों यानी 40 सालों में सबसे कम है। 1977-78 में ईपीएफओ ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है। 11 मार्च, शुक्रवार को ही ईपीएफओ की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी, जो आज खत्म हो गई है, जिसमें ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है।
वित्त वर्ष 2020-21 और इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.5 फीसदी ब्याज तय की थी। इससे पहले 2018-19 में ईपीएफओ पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था। ईपीएफओ ने 2016-17 और 2017-18 में भी 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया था। वहीं, 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसदी, 2013-14 और 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत थी।
शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है। आशंका जताई जा रही थी कि इससे कमाई प्रभावित हो सकती है। ऐसे में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ की ब्याज दरों को स्थिर रखा जा सकता है या इसमें कटौती की भी जा सकती है। अब इसमें कटौती का फैसला लिया गया है।