आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को पिछले दिनों बड़ा झटका लगा था जब देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ घटकर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है। साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। वहीं, मोदी सरकार लगातार 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने की बात कर रही है। इन सबके बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा विकास दर से 2025 में 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है।
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोबारा सरकार बनने के बाद उन्होंने अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ डॉलर की बनाने का लक्ष्य रखा था लेकिन अर्थव्यवस्था पर छाए संकट के बाद से इसे हासिल करने पर सवाल उठ रहे हैं। आर्थिक विकास दर की गति कम हो रही है और वित्तवर्ष 2016 के 8.2 फीसदी के मुकाबले वित्तवर्ष 2019 में विकास दर 6.8 फीसदी रह गई है।
‘2025 तक 5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं’
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रंगराजन ने गुरुवार को कहा, ‘आज हमारी अर्थव्यवस्था 2,700 अरब डॉलर है और हम पांच साल में इसे दोगुना कर 5 लाख करोड़ डॉलर करने की बात कर रहे हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नौ फीसदी सालाना की दर से विकास की जरूरत है। ऐसे में 2025 तक 5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है।’
‘इस साल छह फीसदी से नीचे रहने वाली है विकास दर’
आईबीएस-आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रंगराजन ने कहा, ‘ आप दो साल गंवा चुके हैं। इस साल यह विकास दर छह फीसदी से नीचे रहने वाली है जबकि अगले साल यह करीब सात फीसदी होगी। इसके बाद अर्थव्यवस्था गति पकड़ सकती है।’
‘नौ फीसदी की दर से विकास करें तब भी इसे हासिल करने में लगेंगे 22 साल’
रंगराजन ने कहा कि अगर देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5 लाख करोड़ डॉलर हो गया तो देश में प्रति व्यक्ति आय मौजूदा 1,800 डॉलर से बढ़कर 3,600 डॉलर हो जाएगी। इसके बावजूद देश निम्न मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में ही रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘विकसित देश की परिभाषा ऐसे देश से है जिसकी प्रति व्यक्ति आय 12,000 डॉलर सालाना हो। अगर हम नौ फीसदी की दर से विकास करे तब भी इसे हासिल करने में 22 साल लगेंगे।’