देश के कई राज्यों में कैश की कमी से आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच सरकार ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
इस संबंध में आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा है कि भारत सरकार यह आश्वस्त करना चाहती है कि करेंसी नोटों की पर्याप्त आपूर्ति हुई है। यह भी आश्वासन देना चाह रही है कि आने वाले दिनों / महीनों में अधिक मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त करेंसी की आपूर्ति होगी।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, विभाग ने दावा किया है कि एटीएम में नकदी की आपूर्ति के साथ जल्द से जल्द नहीं चलने वाले एटीएम को सामान्य करने के लिए सरकार सभी कदम उठा रही है।
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव एससी गर्ग ने जानकारी दी, “हम 500 करोड़ (500 के नोट) रुपये प्रति दिन प्रिंट करते हैं। हमने उत्पादन को पांच गुना बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। अगले कुछ दिनों में, हम प्रति दिन लगभग 2500 करोड़ (500 के नोट) रुपये की आपूर्ति करेंगे। एक महीने में यह आपूर्ति लगभग 70000-75000 करोड़ होगी।”
मांग मे वृद्धि से आई समस्या, देश में कैश की कमी नहीं: जेटली
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में मुद्रा प्रचलन में है। बैंकों के पास भी उपलब्ध है। कुछ क्षेत्रों में 'अचानक मांग में असामान्य वृद्धि' की वजह से अस्थायी कमी आई है। इसे जल्दी निपटाने की कोशिश की जा रही है।
कई राज्यों के पास ज्यादा पैसा, कई के पास कम: शिव प्रताप शुक्ला
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि कैश की किल्लत दो-तीन दिन में दूर हो जाएगी और देश में नकदी की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने कहा, “अभी हमारे पास रुपये 1,25,000 करोड़ की नकद मुद्रा है। समस्या यह है कि कुछ राज्यों में कम मुद्रा है और कुछ के पास ज्यादा है। सरकार ने राज्यवार समिति बनाई है और आरबीआई ने एक राज्य से दूसरे राज्य में मुद्रा हस्तांतरण के लिए एक समिति का गठन किया है। यह 3 दिनों में किया जाएगा।”
इन राज्यों में है ज्यादा समस्या
गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में अचानक कैश का सूखा पड़ गया है। बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और उत्तराखंड के कई शहरों में एटीएम खाली होने की बातें सामने आ रही हैं।
सप्ताह भर से परेशान लोग एटीएम के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन लोगों को पैसे मिल नहीं पा रहे हैं। हालत ये है कि लोग इसे दो साल पहले हुई नोटबंदी की तरह देख रहे हैं।