अमेरिका में काम कर रहे भारतीय प्रोफेशनल्स के जीवनसाथियों का वर्क परमिट फिलहाल नहीं छिनेगा। अमेरिकी अदालत के ताजा आदेश के अनुसार वे पहले की तरह काम करते रहेंगे। अमेरिका की एक अदालत ने ओबामा प्रशासन के एक नियम को रद्द करने से इन्कार कर दिया है। नियम के अनुसार एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी अमेरिका में काम कर सकते हैं। एच-1बी वजा नॉन-इमीग्रेंट वीजा है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाली नौकरियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति मिलती है।
ओबामा प्रशासन ने बनाया था नियम
वर्ष 2015 में बराक ओबामा प्रशासन ने एक नियम बनाया था जिसके तहत कुछ किस्मों के एच-4 वीजाधारकों, खासतौर पर अमेरिका में काम करने के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे एच-1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को वर्क परमिट देने की अनुमति दी गई थी। भारतीय खासकर महिलाओं को इस नियम से सबसे ज्यादा फायदा मिला। लेकिन तमाम अमेरिकी कर्मचारियों ने मौजूदा ट्रंप प्रशासन के समक्ष इस नियम को चुनौती दी और इसे बदलने का अनुरोध किया। ट्रंप प्रशासन ने भी अमेरिकी कर्मचारियों की मांग का समर्थन किया।
निचली अदालत को वापस भेजा केस
कोलंबिया सर्किट डिट्रिक्ट के लिए अपील कोर्ट की तीन जजों वाली बेंच ने यह कहते हुए केस को निचली अदालत में वापस भेज दिया कि केस के विस्तृत परीक्षण के आंकलन और फैसले के लिए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को अवसर दिया जाना सबसे अच्छा होगा। सेव्स जॉब्स यूएसए की याचिका पर अपने आदेश में फेडरल कोर्ट ने कहा कि हम समरी जजमेंट के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की अनुमति को पटलते हैं। िनचली अदालत को इस विचार के साथ आगे की प्रक्रिया चलानी चाहिए।
अमेरिकी श्रमिकों का दावा
सेव्स जॉब्स यूएसए अमेरिकी कर्मचारियों का संगठन है जो दावा करते हैं कि एच-4 वीजाधारकों को वर्क परमिट देने की ओबामा प्रशासन की नीति के कारण उनकी नौकरियां चली गई थीं।
वर्क परमिट के पक्ष में था अमेरिकी विभाग
अदालत ने कहा कि एच-4 वीजाधारकों को कानूनन नौकरियों के लिए पात्र बनाए जाने से इमीग्रेशन की जिम्मेदारी संभालने वाले डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) ने कुछ कमियों को दूर करने की मांग की। इन दिक्कतों के चलते एच-1बी वीजाधारक नॉन-इमीग्रेंट (विदेशी प्रोफेशनल्स) अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के लिए प्रयास करना छोड़ देते हैं। ऐसे कर्मचारियों से काम करवाने वाली अमेरिकी कंपनियों के कामकाज में व्यवधान कम से कम हो, यह सुनिश्चित करने के लिए डीएचएस ने यह मांग की थी।
इस आधार पर मिली राहत
अदालत के अनुसार सरकार ने बताया है कि एच-1बी वीजाधारकों और उनके परिवारी जनों को स्थानीय निवास की अनुमति के लिए लंबी प्रक्रिया का इंतजार करना होता है और इस दौरान एच-4 वीजाधारकों को काम करने की अनुमति न होने से उन्हें व्यक्तिगत और आर्थिक समस्याएं झेलनी पड़ती है जो समय के साथ और ज्यादा गंभीर हो जाती हैं। इसका नतीजा होता है कि एच-1बी वीजाधारकों के लिए स्थायी निवास की अनुमति पाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाता है और अमेरिकी कंपनियों के लिए उच्च शिक्षित और अत्यधिक कुशल कर्मचारियों को अपने साथ जोड़े रखना मुश्किल हो जाता है। जजों ने कहा कि ओबामा प्रशासन के नियम से एच-1बी वीजाधारकों के अमेरिका में बने रहने का ज्यादा प्रभाव होगा, बजाय नए एच-1बी वीजाधारकों के।