प्रदेश सरकार ने घाटे को कम करने के लिए पेट्रोल डीजल पर वैट बढ़ाकर जनता का बोझ बढ़ा दिया है। राज्य में मंगलवार सुबह से बढ़ी हुई दरों से पेट्रोल डीजल की बिक्री की जा रही है। इससे लखनऊ में पेट्रोल दो रुपए 35 पैसे और डीजल 92 पैसे महंगा हो गया है।
पिछले साल पांच अक्टूबर को राज्य सरकार ने केंद्र की अपील पर पेट्रोल और डीजल पर ढाई-ढाई रुपए कम करने की घोषणा की थी। इससे राज्य सरकार को राजस्व में करीब चार हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। धन की कमी के कारण सरकार को विकास कार्यों में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार देर रात कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस बारे में वाणिज्य कर विभाग की ओर से तर्क दिया गया था कि पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट कम होने से घाटा हो रहा है। इसलिए वैट की दरें फिर से बढ़ाई जाएं। वाणिज्य कर विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक पेट्रोल पर अब वैट 26.80 प्रतिशत या रू.16.74 प्रति लीटर में जो भी अधिक होगा, वह लगेगा। ऐसे ही डीजल पर 17.48 प्रतिशत या 9.41 रुपए प्रति लीटर में जो भी अधिक होगा वह लगेगा।
उत्पादों की कीमतों पर पड़ेगा असर
डीजल की कीमतों में इजाफा होने का असर माल भाड़े पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। माल भाड़े में बढ़ोतरी होने पर उत्पादों के महंगे होने की भी आशंका है। इससे महंगाई को बढ़ावा मिलेगा। आईआईए के स्टेट चेयरमैन पंकज गुप्ता कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल हमारे प्रोडक्शन के रॉ मटैरियल का हिस्सा होती है। जब सामान आता या जाता है तो इसमें पेट्रोल डीजल का इस्तेमाल होता है। हमारे जेनरेटर में भी इस्तेमाल होता है। इससे उत्पादों की लागत बढ़ेगी और इसका असर कीमत पर दिखेगा। यह मंदी का समय है, ऐसे में बाजार में डिमांड बहुत कम है। यूपी का उद्योग अच्छी स्थिति में नहीं है।