थोक कीमतों पर आधारित देश की वार्षिक महंगाई दर अप्रैल में घटकर 3.07 फीसदी रही। यह मार्च में 3.18 प्रतिशत थी। इस तरह 0.011 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यदि सालाना आधार पर बात करें तो अप्रैल 2018 में थोक महंगाई दर के आंकड़े 3.63 फीसदी थे।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में 40.65 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि बीते महीने यानी मार्च में यह आंकड़ा 28.13 फीसदी रहा था। हालांकि आलुओं की महंगाई मार्च के 1.30 फीसदी से घटकर अप्रैल में (-) 17.15 फीसदी रह गई।
खाद्य पदार्थों की महंगाई 4.95 प्रतिशत के स्तर पर
अप्रैल में खाद्य पदार्थों की महंगाई बढ़कर 4.95 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, जबकि बीते माह यह 3.89 फीसदी रही थी। गैर खाद्य पदार्थों की महंगाई मार्च के 2.83 फीसदी से बढ़कर 5.23 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स महंगाई 1.72 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में यह आंकड़ा 2.16 फीसदी रहा था।
खुदरा महंगाई उच्चतम स्तर पर
इससे पहले खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर अप्रैल महीने में बढ़कर 2.92 फीसदी हो गई। यह छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के अनुसार, इससे पिछले महीने महंगाई दर 2.86 फीसदी और एक साल पहले अप्रैल 2018 में 4.58 फीसदी पर थी।
आंकड़ों के अनुसार खाद्य पदार्थों की श्रेणी में महंगाई दर अप्रैल में 1.1 फीसदी पर पहुंच गई जो मार्च में 0.3 फीसदी थी। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय खासतौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है।
इससे पहले मार्च में खुदरा महंगाई बढ़कर 2.86 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं, फरवरी में खुदरा महंगाई दर 2.57 फीसदी रही। मार्च महीने में खाने- पीने की महंगाई दर 0.3 फीसदी हो गई। वहीं ईंधन और बिजली की महंगाई दर 2.42 फीसदी पर पहुंच गई।
खुदरा महंगाई दर 2019-20 में 0.60 फीसदी बढ़कर 4 फीसदी हो जाने का अनुमान है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण प्रमुख रूप से खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी।