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भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान में वर्ल्ड बैंक ने की कटौती, कहा- 5% रहेगी विकास दर

देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और इकोनॉमिक स्लोडाउन के बीच विश्व बैंक ने भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट के...
भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान में वर्ल्ड बैंक ने की कटौती, कहा- 5% रहेगी विकास दर

देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और इकोनॉमिक स्लोडाउन के बीच विश्व बैंक ने भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान में कटौती कर दी है। विश्व बैंक ने संभावना जताई है कि 2019-20 के वित्त वर्ष में भारत की विकास दर पांच फीसदी रहेगी। हालांकि, बैंक ने यह भी कहा है कि अगले वित्त वर्ष में भारत इसमें सुधार कर सकता है और यह आंकड़ा 5.8 फीसदी तक पहुंच सकता है। इससे पहले अक्टूबर माह में विश्व बैंक ने कहा था कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के जीडीपी में छह फीसदी की ग्रोथ हो सकती है।

ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि भारत की तुलना में पड़ोसी देश बांग्लादेश आगे रहेगा। उसकी जीडीपी विकास दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि पाकिस्तान में यह तीन फीसदी पर रहने की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही विश्व बैंक ने कहा कि भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का कर्ज वितरण कमजोर बना हुआ है।

केंद्र सरकार ने भी जताया था ये अनुमान

इससे पहले केंद्र सरकार ने भी वित्त वर्ष 2019-20 की विकास दर का पहला अनुमान जारी किया था। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी पांच फीसदी रहेगी, जो पिछले एक दशक में सबसे कम है। सरकार बजट के बाद फरवरी महीने में वित्त वर्ष का दूसरा अनुमान जारी करेगी।

2018-19 में थी 6.8 फीसदी

2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। इस हिसाब से देखा जाए तो फिर इसमें करीब 1.8 फीसदी की गिरावट है। विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के जीडीपी अनुमान को काफी घटा दिया है।  मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।

जुलाई-सितंबर में 4.5 फीसदी थी विकास दर

जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है।  इससे पहले जनवरी-मार्च, 2013 तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.3 फीसदी रही थी, वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी जुलाई-सितंबर, 2018 तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी।

आरबीआई ने भी घटाया था जीडीपी का अनुमान

इससे पहले पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।

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