सोने ने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ कर 1 लाख रुपए का बैरियर पार कर दिया। इसकी वायदा कीमतों में लगातार चौथे कारोबारी सत्र में तेजी का रुख रहा और यह 2,048 रुपये की तेजी के साथ 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व में सुधार की योजना के संकेत दिए जाने के बाद निवेशकों ने सुरक्षित निवेश की ओर रुख किया।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर पीली धातु का अगस्त डिलीवरी अनुबंध मध्य सत्र के कारोबार में 2,048 रुपये अथवा 2.1 प्रतिशत उछलकर 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गया। बाद में, यह बहुमूल्य धातु 1,838 रुपये या 1.88 प्रतिशत की तेजी के साथ 99,790 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रही थी, जिसमें 2,492 लॉट के लिए कारोबार हुआ।
इसके अलावा, एमसीएक्स पर अक्टूबर अनुबंध 2,016 रुपये या 2.04 प्रतिशत उछलकर 1,00,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। इस बीच, सबसे अधिक कारोबार वाला जून अनुबंध 2,079 रुपये या 2.14 प्रतिशत बढ़कर 99,358 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
विश्लेषकों ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फेडरल रिजर्व में सुधार की योजना का खुलासा करने के बाद, अमेरिकी मौद्रिक नीति को लेकर चिंताओं के कारण कीमती धातु में उछाल आया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी के अनुसार, 1990 में सोने की कीमत 3,200 रुपये प्रति 10 ग्राम थी और अगर 2024 के अंत में कीमत देखें तो यह 77,913 रुपये प्रति 10 ग्राम होगी।
उन्होंने कहा, "यदि हम पिछले 34 वर्षों के सीएजीआर रिटर्न की गणना करें तो यह लगभग 9.80 प्रतिशत होता है, और... 2025 की शुरुआत से 21 अप्रैल तक सोने का प्रदर्शन लगभग 26.20 प्रतिशत रिटर्न देता है।"
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि पिछले साल और इस साल भी कीमती धातुओं की कीमतें लगातार रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, जिसकी वजह एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स में निवेश का बढ़ना है, क्योंकि व्यापार युद्ध के कारण व्यापक आर्थिक व्यवधान की संभावना ने निवेश की मांग को बढ़ावा दिया है। गांधी ने कहा कि बड़े पैमाने पर केंद्रीय बैंक की खरीदारी, एशिया में मजबूत मांग और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नरमी।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना वायदा 83.76 डॉलर प्रति औंस या 2.44 प्रतिशत उछलकर 3,509.06 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। बाद में यह रिकॉर्ड स्तर से नीचे आ गया और 65.95 डॉलर या 1.93 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3,491.25 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के कमोडिटीज के उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने कहा, "वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बढ़ने के बीच सोने की कीमतें पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 3,500 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गईं और घरेलू बाजारों में भी 97,000 डॉलर के स्तर को पार कर गईं।"
सोमवार को ट्रम्प ने फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती करने का अपना आह्वान दोहराया और कहा कि यदि फेड ने ब्याज दरों में तत्काल कटौती नहीं की तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है।
वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के बीच सोने की कीमतों में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला। कलंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीच ब्याज दरों में कटौती को लेकर विवाद के बाद डॉलर इंडेक्स 3 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी टीम इस बात पर अध्ययन कर रही है कि क्या वे फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल को हटा सकते हैं।
पिछले सप्ताह फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा था कि केंद्रीय बैंक निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती करने के लिए इच्छुक नहीं है, क्योंकि उन्होंने नए टैरिफ से उत्पन्न संभावित मुद्रास्फीति दबाव और आर्थिक अनिश्चितताओं का हवाला दिया था।