केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि मार्च तिमाही में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर से एक बार फिर यह स्थापित हो गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अतीत की तुलना में भविष्य अधिक चमकदार दिख रहा है।
उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पेट्रोल, डीजल पर करों में 25 रुपये की कटौती के सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि यह एक फंसाने वाली सलाह है। अपने फेसबुक पोस्ट ‘द इकनॉमी एंड द मार्केर्ट्स रिवार्ड स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स एंड फिस्कल प्रूडेंस’ में जेटली ने कहा कि नोटबंदी जैसे संरचनात्मक सुधारों तथा जीएसटी के क्रियान्वयन तथा दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को लागू करने की वजह से हमें दो तिमाहियों में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। जिन लोगों ने यह अनुमान लगाया था कि जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट आएगी वे गलत साबित हुए। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी से जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट आएगी।
उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही है जिससे एक बार फिर से यह स्थापित हुआ है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था है। जेटली ने कहा कि निर्माण क्षेत्र में दो अंकीय वृद्धि, रिकॉर्ड एफडीआई, विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार और वित्तीय समावेशी योजनाओं से रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ और स्वयं रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मेरे एक सम्मानित पूर्ववर्ती को भय था कि इससे उन्हें भविष्य में गरीबी का जीवन जीना पड़ेगा। जेटली ने कहा कि हमने प्रत्येक भारतीय को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया है। अब अतीत की तुलना में भविष्य अधिक उज्ज्वल दिख रहा है। यह रुख अगले कुछ साल तक जारी रहेगा।
जेटली ने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी, डिजिटलीकरण, आधार और कालाधन रोधक उपायों से धीरे-धीरे भारतीय अर्थव्यवस्था संगठित हो रही है। उन्होंने कहा कि यदि कर संग्रह का यह रुख अगले कुछ साल तक जारी रहता है तो हम बेहतर भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं। जेटली ने चिदंबरम का नाम लिए बिना कहा कि एक अन्य पूर्व वित्त मंत्री ने सुझाव दिया है कि सरकार को पेट्रोल, डीजल पर करों में 25 रुपये की कटौती करनी चाहिए। हालांकि, जब वह खुद वित्त मंत्री थे तो उन्होंने ऐसा नहीं किया था।
जेटली ने नागरिकों से कहा कि वे अपने हिस्से के करों का ‘ईमानदारी’ से भुगतान करें, जिससे पेट्रोलियम पदार्थों पर राजस्व के स्रोत के रूप में निर्भरता कम हो सके। केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि सिर्फ वेतनभोगी वर्ग ही अपने हिस्से का कर अदा करता है। जबकि ज्यादातर अन्य लोगों को अपने कर भुगतान के रिकॉर्ड को सुधारने की जरूरत है। यही वजह है कि भारत अभी तक एक कर अनुपालन वाला समाज नहीं बन पाया है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने राजकोषीय मजबूती और वृहद आर्थिक दायित्व व्यवहार को लेकर मजबूत प्रतिष्ठा कायम की है। राजकोषीय रूप से अनुशासन नहीं बरतने से अधिक कर्ज लेना पड़ता है जिससे ऋण की लागत बढ़ जाती है। जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं को राहत सिर्फ राजकोषीय रूप से जिम्मेदार और वित्तीय दृष्टि से मजबूत केंद्र सरकार और वे राज्य दे सकते हैं जिनको तेल कीमतों में असामान्य बढ़ोतरी की वजह से अतिरिक्त राजस्व मिल रहा है।
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पिछले साल जेटली की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में अर्थव्यवस्था की बुरी हालत कर दी है। सिन्हा ने नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के फैसलों के लिए भी केंद्र को आड़े हाथ लिया था। जेटली के पास वित्त मंत्रालय का प्रभार था। 14 मई को उनका गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था और अब वह बिना किसी पोर्टफोलियो के कैबिनेट मंत्री हैं। रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने भी कहा था कि भाजपा सरकार ने लोगों को गरीबी में धकेल दिया है और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल की तुलना में बढ़ी है।