कंपनियां और स्टोर अपने प्रमोशन के लिए ग्राहकों को जो गिफ्ट वाउचर या कैश बैक वाउचर देती हैं, उस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा। अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) की कर्नाटक बेंच ने यह निर्णय दिया है। किसी सामान या सेवा पर कितना जीएसटी लगेगा, यह समझने के लिए कंपनियां एएआर के पास आवेदन करती हैं, जो उस पर स्पष्टीकरण देता है।
इस मामले में बेंगलूरू की कंपनी प्रीमियर सेल्स प्रमोशन प्रा.लि. ने अथॉरिटी की कर्नाटक बेंच से पूछा था कि गिफ्ट वाउचर, कैश बैक वाउचर या ई वाउचर पर जीएसटी की कितनी दर लागू होगी। प्रीमियर सेल्स अलग-अलग तरह के वाउचर की ट्रेडिंग करती है।
गिफ्ट वाउचर के मामले में अथॉरिटी ने स्पष्टीकरण दिया कि आवेदक कंपनी वाउचर खरीदकर अपने क्लायंट को बेचती है। क्लायंट वह वाउचर को ग्राहकों को देते हैं। ग्राहक उनका इस्तेमाल कोई वस्तु या सेवा खरीदने में करते हैं। इसलिए आवेदक को वाउचर सप्लाई किए जाते समय उसको ‘पैसा’ नहीं माना जा सकता है। कैश बैक वाउचर और ई वाउचर के बारे में अथॉरिटी ने कहा कि जब इन्हें किसी को दिया जाएगा तब उसे ‘पैसा’ नहीं माना जाएगा, लेकिन खुदरा ग्राहक जब उसका इस्तेमाल को सामान या सर्विस की कीमत चुकाने में करता है तो उसे ‘पैसा’ माना जाएगा।
इस निर्णय की व्याख्या करते हुए एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने बताया कि सभी तरह के ई वाउचर जारी किए जाते समय उन पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होगा। मोहन के अनुसार इससे कंपनियों के सामने अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट जमा होने की समस्या आएगी। उन्होंने बताया, “ज्वैलरी, तेल, मसाला, चाय, चीनी जैसे घरेलू सामान और दवाओं पर जीएसटी दर 18 फीसदी से कम होती है। अगर इन्हें बेचने वाला ई वाउचर भी देता है तो उसके पास टैक्स क्रेडिट जमा होता जाएगा।”
कंसल्टेंसी फर्म ईवाय के पार्टनर अभिषेक जैन के अनुसार अभी कंपनियां वाउचर को सामान के तौर पर नहीं समझती हैं। लेकिन अथॉरिटी के निर्णय के अनुसार इसे सामान समझा जाएगा और उसकी सप्लाई पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। इससे भ्रम की स्थिति बनेगी और आने वाले दिनों में मुकदमेबाजी बढ़ेगी। जैन का कहना है कि वाउचर पर टैक्स को लेकर सरकार को विस्तृत दिशानिर्देश जारी करने चाहिए।