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विशेषज्ञों की राय, मोदी सरकार के लिए करो या मरो का साल होगा 2017

केंद्र की मोदी सरकार के लिए 2017 का साल करो या मरो का होगा। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार कैसे 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए नोटबंदी से हुए संभावित 2.20 लाख करोड़ रुपये के लाभ का इस्तेमाल करती है।
विशेषज्ञों की राय, मोदी सरकार के लिए करो या मरो का साल होगा 2017

केपीएमजी :इंडिया: के भागीदार तथा कर प्रमुख गिरीश वनवारी ने कहा, सरकार को कारपोरेट कर मेंं कटौती करने, बैंकाेें के बही खाते को साफ सुथरा करने और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अधिक पैसा डालने की जरूरत है, तभी आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जा सकती है। 

वनवारी ने कहा कि 2017-18 का साल सरकार के लिए करो या मरो का हो सकता है। यह नोटबंदी अभियान की सफलता पर निर्भर करेगा। यदि काली अर्थव्यवस्था को सफेद मेें तब्दील किया जाता है तो एेसे मेें दीर्घावधि में ब्याज दरेें नीचे आएंगी और भारत 8 से 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर की ओर अग्रसर होगा।

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि अर्थव्यवस्था निवेश में सुस्ती के दौर से गुजर रही है। नोटबंदी से उपभोग मेें भी सुस्ती आई है। उन्हाेेंने कहा कि एेसे मेें सरकार अगले वित्त वर्ष मेें वित्तीय प्रोत्साहन ला सकती है। सरकार को जीडीपी के 1.5 प्रतिशत के बराबर या 2.2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन खर्च के लिए उपलब्ध होंगे।

उन्हाेंंने कहा कि ये प्रोत्साहन सड़क, रेलवे और अन्य निर्माण क्षेत्रों मेें अतिरिक्त खर्च के रूप मेें आ सकते हैं।

नांगिया एंड कंपनी के प्रबंधकीय भागीदार राकेश नांगिया ने कहा, तेजी से नीतियाेें के क्रियान्वयन से भारत की वास्तविक वृद्धि क्षमता को हासिल किया जा सकता है। उन्हाेेंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती से कच्चे तेल तथा जिंसों के दाम निचले स्तर पर रह सकते हैं। हालांकि, बेहतर मानसून तथा घरेलू मांग मेें वृद्धि से भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर उपर रहेगी। भाषा एजेंसी 

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