पूंजी बाजार नियामक सेबी ने किसानों की सुविधा के लिये कृषि जिंस वायदा कारोबार पर प्रति एक्सचेंज एक लाख रुपये की समान दर से शुल्क तय किया है। इसके साथ ही सेबी ने म्यूचुअल फंड के शुल्क ढांचे में भी आमूलचूल बदलाव करते हुये इनमें निवेश पर कुल खर्च की अधिकत सीमा 2.25 प्रतिशत तय की है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सेबी ने मंगलवार को कृषि जिंस वायदा में कारोबार के स्तर पर आधारित शुल्क के बजाय प्रति एक्सचेंज केवल एक लाख रुपये का एकमुश्त शुल्क तय किया है। सेबी ने म्यूचुअल फंड कोषों द्वारा निवेशकों से ली जाने वाली फीस के ढांचे में भी भारी बदलाव का फैसला किया है। बाजार नियामक ने म्यूचुअल फंड में निवेश पर आने वाले खर्च को 2.25 प्रतिशत तक सीमित रखने का फैसला किया है।
सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार, सेबी और एक्सचेंज कृषि जिंस वायदा कारोबार को प्रोत्साहन के लिये कई कदम उठा रहे हैं। यह इस मक्सद से किया जा रहा है कि कृषि जिंस वायदा कारोबार का लाभ किसानों, किसानों के उत्पादक संगठनों तक पहुंच सके। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सेबी बोर्ड ने नियामकीय फीस को कारोबार आधारित विभिन्न स्लैबों के बजाय प्रति एक्सचेंज मात्र एक लाख रुपये की फीस रखने को मंजूरी दी है। यह फीस कृषि जिंस वायदा कारोबार पर लगाई जायेगी। नियामकीय फीस में कमी का लाभ किसानों अथवा उनके संगठनों तक पहुंचाने के लिये कृषि जिंस वायदा कारोबार करने वाले सभी एक्सचेंज किसानों के लिये एक अलग कोष बनायेंगे। इस कोष का इस्तेमाल किसानों और कृषि उत्पादक संगठनों को जिंस वायदा बाजार में सरल भागीदारी कार्यों में इस्तेमाल किया जायेगा।
सेबी बोर्ड की बैठक के बाद अजय त्यागी ने कहा कि म्यूचुअल फंड के मामले में अधिकतम कुल खर्च अनुपात के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों से उनके धन का प्रबंध करने के लिये जो फीस लेते हैं वह निश्चित अवधि में बंद होने वाली इक्विटी योजना के लिये 1.25 प्रतिशत तक और शेयर निवेश योजनाओं के अलावा अन्य के लिये एक प्रतिशत तक होगी। सतत् खुली इक्विटी निवेश योजनाओं में निवेशकों से कुल खर्च के रूप में अधिकतम 2.25 प्रतिशत होगा। यह फीस कोई भी म्यूचुअल फंड कंपनी उस योजना को चलाने, उसके प्रशासनिक खर्च और प्रबंधन के लिये लेता है।