हालांकि 27 अन्य विशेष आर्थिक क्षेत्र परियोजनाओं को विकसित करने के लिए और समय दे दिया गया है। इसमें जिन कंपनियों को राहत दी गई है उसमें मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली नवी मुंबई सेज प्राइवेट लिमिटेड, गौतम अडानी के नेतृत्व वाली कांडला पोर्ट लिमिटेड और अनिल अग्रवाल की वेदांता एल्यूमीनियम लिमिटेड शामिल है।
वाणिज्य सचिव राजीव खेर की अध्यक्षता में पिछले महीने हुई मंजूरी बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, विचार-विमर्श के बाद बोर्ड ने इनमें औपचारिक मंजूरी अथवा अधिसूचना को निरस्त करने का फैसला किया। इसमें कहा गया, ‘हालांकि, डेवलपर को एक प्रमाणपत्र जमा कराना होगा जिसमें यह प्रमाणित किया जाएगा कि उन्होंने सेज कानून अथवा नियमों के तहत सेवाकर छूट सहित उन्होंने कोई कर, शुल्क लाभ नहीं लिया है और यदि कोई लिया है तो उस लाभ का रिफंड करना होगा। जिन 22 सेज की मंजूरी निरस्त की गई है उनमें 19 सेज सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी और आईटी से जुड़ी सेवाओं के क्षेत्र से संबद्ध हैं जबकि अन्य बहु उत्पाद, इंजीनियरिंग, हार्डवेयर और साफ्टवेयर क्षे़त्र के लिए थे। इससे पहले फरवरी में सरकार ने 56 सेज की मंजूरी रद्द की थी।
मंजूरी बोर्ड ने 27 सेज डेवलपर को उनकी परियोजनाओं को विकसित करने के लिये और समय दिया है। इनमें कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड, गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन, वेदांता एल्यूमीनियम लिमिटेड, कांडला पोर्ट ट्रस्ट और नवी मुंबई सेज प्रा. लि. शामिल हैं। सेज एक समय देश में प्रमुख निर्यात केंद्रों के तौर पर उभरने लगे थे लेकिन इन पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) लगने के बाद इनकी चमक समाप्त होने लगी। वर्ष 2005-06 में इन क्षेत्रों से 22,840 करोड़ रुपये जबकि 2013-14 में 4.94 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया गया।