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जारी रहेगी अंत्‍योदय योजना, बदला गया विवादित आदेश

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय शुरू की गई अंत्‍योदय अन्न योजना बंद होने से फिलहाल बच गई है। केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय ने उस विवादित आदेश को बदल दिया जिसके तहत नए अंत्‍योदय कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। सरकार के इस कदम को अंत्‍योदय योजना को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की कोशिश माना जा रहा था और कई सामाजिक संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी।
जारी रहेगी अंत्‍योदय योजना, बदला गया विवादित आदेश

गौरतलब है कि वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2000 में देश के अत्‍यंत निर्धन परिवारों को अन्‍न मुहैया कराने के लिए अंत्‍योदय अन्‍न योजना की शुरूआत की थी। लेकिन वर्ष 2013 में यूपीए सरकार द्वारा राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू किए जाने के बाद यह योजना हाशिए पर जाने लगी। इस साल मार्च में योजना को बड़ा झटका तब लगा जब केंद्र सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश, 2015 के तहत नए परिवारों को अंत्‍योदय कार्ड जारी करने पर ही रोक लगा दी। फिलहाल देश के निर्धनतम 2.5 करोड़ परिवार अंत्‍योदय योजना में शामिल हैं।  

इस कदम की कड़ी आलोचना के बाद खाद्य एवं उपभोक्‍ता मामलों के मंत्रालय ने अपने कदम वापस खींचते हुए इस आदेश में बदलाव किया है और आदेश के सेक्‍शन 3 (3) के विवादित प्रावधान को हटा दिया है। इस बारे में मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। आदेश से हटाए गए प्रावधान के अनुसार, राज्‍यों में नए अंत्‍योदय परिवारों की पहचान और उन्‍हें अंत्‍योदय कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। 

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अंत्‍योदय राशन कार्ड के महत्‍व पर जोर देते हुए अर्थशास्‍त्री रीतिका खेड़ा बताती हैं कि जब बीपीएल कार्डधारकों को 4 से 10 रुपये प्रति किलो की दर पर अनाज मिल रहा था तब अंत्‍योदय परिवारों को 2-3 रुपये की रियायती दर से अनाज दिया जाता था। अब जैसे-जैसे खाद्य सुरक्षा कानून लागू होगा प्राथमिकता और अंत्‍योदय परिवारों, दोनों को ही 2-3 रुपये प्रति किलो में अनाज मिलेगा। लेकिन अंतर यह है कि अंत्‍योदय परिवारों को प्रतिमाह 35 किलो अनाज पाने का हक है जबकि प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्‍यक्ति केवल 5 किलोग्राम के हिसाब से मिलेगा। रीतिका के मुताबिक, खाद्य सुरक्षा कानून की नई व्‍यवस्‍था में कम सदस्‍य वाले परिवारों को नुकसान हो सकता है। अंत्‍योदय सूची में ऐसे कई परिवार है जैसे- एकल महिलाएं, विधवा महिलाएं और बुजुर्ग आदि। इसलिए सरकार द्वारा किए गए संशोधन जिसमें अंत्‍योदय की श्रेणी खत्‍म नहीं की जाएगी, सराहनीय है। 

दरअसल राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के तहत 50 फीसदी शहरी और 75 फीसदी ग्रामीण आबादी यानी देश की करीब 81 करोड़ आबादी को सस्‍ती दरों पर अनाज मुहैया कराना है। अंत्‍योदय योजना में शामिल करीब ढाई करोड़ परिवारों को भी सरकार ने इन्‍हीं 81 करोड़ लोगों में शामिल कर दिया और इस हिसाब से राज्‍यवार संख्‍या निर्धारित कर राज्‍यों से प्राथमिकता वाले लाभार्थियों की पहचान करने को कहा गया। इस तरह खाद्य सुरक्षा कानून की आड़ में अंत्‍योदय जैसी महत्‍वपूर्ण योजना को सीमित करने की कोशिशें चल रही थीं। 

भारत में खाद्य सुरक्षा और अंत्‍योदय जैसी योजनाओं की अहमियत को समझने के लिए इस तथ्‍य पर गौर करना काफी होगा कि वर्ल्‍ड हंगर इंडेक्‍स में भारत 76 देशों के बीच 55वें स्‍थान पर है और श्रीलंका, नेपाल, इराक और घाना जैसे देशों की स्थिति इस मामले में भारत से बेहतर है। 

 

 

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