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विमान किरायों की सीमा तय करने से टिकट का न्यूनतम मूल्य बढ़ेगा : राजू

विमान किरायों की अधिकतम सीमा तय करना ज्यादातर यात्रियों के लिए घाटे का सौदा हो सकता है। नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने शनिवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर एयरलाइंस न्यूनतम किरायों में बढ़ोतरी कर सकती है। इससे पहले राजू ने कुछ दिन पहले विमान किरायों की सीमा तय करने से इनकार करते हुए कहा था कि विमानन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा से इस समस्या का हल हो जाएगा।
विमान किरायों की सीमा तय करने से टिकट का न्यूनतम मूल्य बढ़ेगा : राजू

राजू ने यहां हवाई यात्रा को अधिक सुगम बनाने के लिए यात्रियों के अनुकूल उपायों का शुभारंभ करते हुए कहा कि सिर्फ नियमन के लिए नियमन करना जरूरी नहीं है। हम ज्यादातर लोगों के लिए टिकट की लागत नहीं बढ़ाना चाहते हैं। विमान किरायों की अधिकतम सीमा तय करने के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि न्यूनतम और अधिकतम सीमा 1994 से पहले होती थी। ऐसे में हम इसे नियमन वाला मामला बनाना चाहते हैं या नहीं। यदि आप सीमा तय करते हैं, तो न्यूनतम किराया बढ़ जाएगा। यह समस्या है।

पिछले साल किए गए किरायों के उतार-चढ़ाव पर विश्लेषण का हवाला देते हुए राजू ने कहा कि इसमें यह तथ्य सामने आया कि सिर्फ 1.7 प्रतिशत टिकटों का मूल्य ही ऊंचा था। यह विश्लेषण कुछ सांसदों द्वारा टिकट किरायों में काफी उतार-चढ़ाव पर चिंता जताए जाने के बाद किया गया था। इससे पहले इसी सप्ताह पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में राजू ने कहा था कि एयरलाइंस के बीच प्रतिस्पर्धा से इस समस्या का हल हो जाएगा। विमान किरायों पर अंकुश एक अच्छी कारोबारी सोच नहीं है और इससे सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना प्रभावित होगी।

बहरहाल सरकार ने विमानों के टिकट रद्द कराने के शुल्क की सीमा तय करने, विमान में चढ़ने से वंचित रखने पर ज्यादा मुआवजे और अतिरिक्त सामान ले जाने पर एयरलाइनों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क को घटाने का प्रस्ताव रखा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्री केंद्रित उपायों का सुझाव देते हुए कहा कि एयरलाइनों को उड़ान रद्द होने पर यात्रिायों को सभी वैधानिक करों का भुगतान करना होगा।

विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने प्रस्ताव दिया कि किसी भी परिस्थिति में रद्द करने का शुल्क मूल किराये से ज्यादा नहीं होगा और एयरलाइनें किराए वापस करने की प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकतीं। चेक्ड इन बैगेज के संबंध में एयरलाइनें सामानों के 15 किलोग्राम की सीमा से ज्यादा वजन होने पर 20 किलोग्राम तक के लिए प्रति किलोग्राम 100 रुपये का शुल्क लेंगी। इस समय 15 किलोग्राम की सीमा से अधिक सामान होने पर प्रति किलोग्राम के लिए 300 रुपये का शुल्क लिया जाता है। केवल एयर इंडिया 23 किलोग्राम तक निशुल्क सामान ले जाने देता है।

विमान में क्षमता से ज्यादा बुकिंग होने के कारण यात्रा से वंचित रखे जाने पर सरकार ने यात्रियों के लिए तय शर्तों के साथ 20,000 रुपये तक के मुआवजे का प्रस्ताव दिया है। नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा कि यात्रियों की समस्याओें को उचित समय के भीतर न सुलझाए जाने की शिकायतें मिलने के बाद ये उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। नए उपाय लाने के लिए डीजीसीए ने तीन नागरिक उड्डयन जरूरतों और एक वायु यातायात सर्कुलर में बदलाव का सुझाव दिया है। अंतिम फैसला लिए जाने से पहले उन्हें सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए रखा जाएगा। बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए आंकड़े के अनुसार इस साल जनवरी-मार्च के दौरान दस भारतीय एयरलाइनों ने कुल 18,512 उड़ानों में देरी की। इनमें बजट एयरलाइन इंडिगो ने सबसे ज्यादा 5,426 उड़ानों में देरी की। इसके बाद जेट एयरलाइन ने सबसे ज्यादा 5,040, एयर इंडिया ने 3,111 और स्पाइसजेट ने 2,205 उड़ानों में देरी की।

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