नीति आयोग के सदस्य विवेक देवराय ने पिछले महीने कहा था कि मौसमी उतार-चढ़ाव को समायोजित करने के बाद किसानों की आय पर अन्य नागरिकों के समान कर लगना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा, मैं पहले ही इसका खंडन कर चुका हूं। मैं पहले ही कह चुका हूं कि हम इसके पक्ष में नहीं हैं।
जेटली ने कहा, अमीर किसान विरले ही हैं। देश में अमीर किसान कोई सामान्य बात नहीं बल्कि एक अपवाद है। ऐसे में जबकि मुश्किल में पड़े कृषि क्षेत्र की मदद की जरूरत है, वहां कर लगाने की कोई बात नहीं हो सकती। यह इसका समय नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए बल्कि उनकी मदद की जानी चाहिए। सरकार इसको लेकर स्पष्ट है।
जेटली ने कहा, किसी भी रूप में केंद्र सरकार के पास इसका अधिकार नहीं है। कृषि आय पर कर लगाने का अधिकार राज्यों का है। मेरा अपना विचार यह है कि कोई भी राज्य ऐसा नहीं करेगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या भी स्पष्ट कर चुके हैं कि कृषि आय पर कर लगाने का विचार देवराय की अपनी राय है और यह आयोग का विचार नहीं है।
सरकार ने पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक को यह अधिकार दिया है कि वह बैंकों को डिफॉल्टरों के खिलाफ दिवाला एवं शोधन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे सकता है। इस बारे में अध्यादेश जारी किया गया है। इस मुद्दे पर जेटली ने कहा कि डूबे कर्ज के निपटान में समय लगेगा, लेकिन बैंकों को इसकी प्रक्रिया को तेज करना होगा।
उन्होंने कहा कि पहले ही इस बारे में अध्यादेश को अनुमति दी जा चुकी है। रिजर्व बैंक खुद कुछ दिशानिर्देश लेकर आया है। प्रबंधन स्तर पर कुछ बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा, अब अगला चरण संयुक्त ऋण मंच (जेएलएफ) व्यवस्था के जरिये होगा। इसका निपटान शुरू किया जाना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि बैंक जेएलएफ व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सहयोग करेंगे। जेएलएफ व्यवस्था 2014 में प्रभाव में आई थी। हालांकि, यह प्रणाली सुगमता से काम नहीं कर सकी है क्योंकि बैंकों में इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पाती है कि इस पर किस तरीके से आगे बढ़ा जाए।