पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने एबीपी न्यूज से कहा कि जीएसटी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और अभी इसमें काफी सुधार की जरुरत है। उन्होंने आगे कहा, ‘’मैं मानता हूं कि इतने दिनों के प्रयास के बाद आज हम जो जीएसटी का स्वरूप देख रहे हैं, वह वो स्वरूप नहीं हैस जिसकी कल्पना हम सब लोगों ने मिलकर की थी। मैंने अपने समय में सभी रेटों को कम्प्रेस करते हुए तीन रेट तय किए थे। इसलिए जीएसटी की दर एक पर नहीं तो कम से कम तीन पर सीमित करते। वो काम हम करके गए थे, इसलिए मुझे ज्यादा अफसोस होता है कि वह बदल दिया गया।’’
1991 का आर्थिक सुधार ज्यादा ऐतिहासिक
टीवी कार्यक्रम के दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा कि आर्थिक सुधारों का जो सिलसिला 1991 में शुरू हुआ था वह ज्यादा महत्वपूर्ण था। 1991 के आर्थिक सुधार जीएसटी से ज्यादा ऐतिहासिक थे। यशवंत सिन्हा के अनुसार, जीएसटी सिर्फ अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से जुड़ा हुआ है, इसे ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की श्रेणी में रखना उचित नहीं हैं। सिन्हा ने कहा, ‘’आर्थिक सुधार के बारे में जब हम चर्चा करते हैं तो उसमें बहुत सारे मुद्दे आ जाते हैं, जिसपर समय-समय पर काम हुआ है। जीएसटी इन आर्थिक सुधारों का महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन ये अंग आर्थिक सुधारों की ईकाई पर हावी नहीं हो सकता’’
गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा चंद्रशेखर सरकार और वाजपेयी सरकार के समय देश के वित्त मंत्री रहे हैं।