प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अाज हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी देने का फैसला लिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक, नई फसल बीमा योजना जून से शुरू होने वाले आगामी खरीफ सीजन से लागू होगी। किसानों को फसल के नुकसान से बचाने के लिए चलाई जा रही मौजूदा दो योजनाओं - राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) और परिवर्तित एनआईएस के बजाय अब सिर्फ नई योजना ही लागू रहेगी।
कृषि मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार की कोशिश है कि किसानों को कम प्रीमियम का भुगतान करना पड़े और उन्हें पूरी बीमित राशि का क्लेम जल्द मिल पाए। नई बीमा योजना के तहत किसानों से खाद्यान्न व तिलहन से जुड़ी फसलों पर 2 फीसदी तक और बागवानी व कपास पर 5 फीसदी तक प्रीमियम लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि फसल बीमा की मौजूदा योजनाओं में किसानों से 25 फीसदी तक प्रीमियम वसूला जाता है। इसके अलावा नई योजना में क्लेम की 25 फीसदी रकम सीधे किसानों के खातों में पहुंचाने का भी प्रावधान है। इस योजना पर सालाना करीब 9500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
देश के कई राज्य लगातार दूसरे साल सूखे की चपेट में हैं। इस लिहाज से किसानों के लिए कारगर फसल बीमा योजना की अहमियत और ज्यादा बढ़ गई है। अब तक की योजनाओं प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले नुकसान की पूरी भरपाई करने में नाकाम रही हैं और मदद के नाम पर किसानों तक 10, 20 रुपये के चेक पहुंचने के मामले अक्सर उजागर होते हैं।
केंद्र सरकार नई योजना के तहत अगले 2-3 वर्षों के भीतर देश के 50 फीसदी किसानों को बीमा सुरक्षा देना चाहती है जबकि अभी तक देश में करीब 25 फीसदी किसान ही फसल के दायरे में हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भारतीय कृषि बीमा कंपनी के साथ-साथ निजी बीमा कंपनियों के जरिए लागू किया जाएगा। दावों से जुड़ा सारा उत्तरदायित्व बीमा करने वाली कंपनियों का होगा और सरकार शुरू में प्रीमियम सब्सिडी देगी।
बार-बार बदलती रहीं फसल बीमा योजनाएं
सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत किसानों से खाद्यान्न व तिलहन फसलों के बीमा पर 3.5 फीसदी प्रीमियम लिया जाता था। यह योजना देश के 13 राज्यों में लागू हो पाई थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 में संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना शुरू की जो केवल छह राज्यों में लागू सकी। इस योजना में 2 फीसदी से लेकर 15 फीसदी तक प्रीमियम किसानों से वसूला जाता था। इसी दौरान वर्ष 2013 में एक मौसम आधारित फसल बीमा योजना भी शुरू की गई थी जो 12 राज्यों में चल रही है।
रबी फसलों के बीमे पर 1.5 फीसदी प्रीमियम
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी की खाद्यान्न व तिलहन फसलों पर किसानों से बीमित राशि का 1.5 फीसदी प्रीमियम लिया जाएगा जबकि खरीफ की खाद्यान्न व तिलहन फसलों के लिए 2 फीसदी प्रीमियम देना होगा। दोनों सीजन में बागवानी से जुड़ी उपज और कपास पर 5 फीसदी की समान प्रीमियम दर लागू रहेगी।