पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इन फील्ड्स में 8.9 करोड़ टन तेल और गैस का भंडार है। मौजूदा मूल्य पर इस भंडार की कीमत 70,000 करोड़ रुपये है। इन 69 फील्ड्स को संकुलों में क्लब किया जाएगा और तीन महीने के भीतर बोली के लिए पेश किया जाएगा। इन तेल व गैस फील्ड्स को राजस्व हिस्सेदारी या बोलीकर्ता द्वारा सरकार को तेल व गैस में हिस्सेदारी की पेशकश के आधार पर दिया जाएगा।
प्रधान ने कहा कि इन फील्ड्स के परिचालन में न्यूनतम हस्तक्षेप की पेशकश के अलावा सरकार कंपनियों को इन फील्ड्स से उत्पादित तेल व गैस की बिक्री बाजार मूल्य पर करने की अनुमति देगी और वे किसे उत्पाद बेचती हैं, इस पर कोई पाबंदी नहीं होगी। हालांकि तेल की कीमत इस समय वैश्विक बेंचमार्क पर निर्धारित की जाती है, जबकि गैस मूल्य निर्धारित करने के लिए एक जटिल अंतरराष्ट्रीय केन्द्र आधारित फार्मूला अपनाया जाता है जो उस दर से लगभग आधी है जिस पर भारत गैस का आयात करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा इन फील्ड्स की नीलामी को आज मंजूरी दिए जाने के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। सार्वजनिक क्षेत्र की ये दोनों कंपनियां इन फील्ड्स को इसलिए लौटा रही हैं क्योंकि आकार, भूगर्भीय स्थिति एवं कम सरकारी मूल्य के चलते इन फील्ड्स को विकसित करना आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है।
नियमों को सरल कर तेल और गैस उत्खनन में कंपनियों की रुचि बहाल करने का पक्ष लेते हुए सरकार विवादास्पद उत्पादन हिस्सेदारी अनुबंध (पीएससी) की जगह आसान राजस्व हिस्सेदारी व्यवस्था लागू करेगी। नई व्यवस्था में कंपनियों को इस बात का संकेत देना होगा कि वे उत्पादन के विभिन्न चरणों में सरकार के साथ कितना राजस्व बांटना चाहती हैं। प्रधान ने कहा, इस नीलामी से एक एकीकृत लाइसेंसिंग प्रणाली का भी उद्भव होगा जिसमें आपरेटरों को पारंपरिक तेल व गैस एवं गैर पारंपरिक संसाधनों जैसे शेल तेल व गैस और कोल-बेड मिथेन (सीबीएम) का उत्पादन करने का अधिकार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि नीलामी के लिए दस्तावेज तीन महीने में पेश किया जाएगा जिसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी। नीलामी की जानी वाली 69 फील्ड्स में से 36 अपतटीय हैं, जबकि 33 जमीन पर हैं।