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जीएसटी अप्रैल से सितंबर के बीच कभी भी लागू किया जा सकता है: जेटली

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के एक अप्रैल 2017 से लागू होने में संदेह के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी लेनदेन से जुड़ा कर है और इसे वर्ष के दौरान किसी भी समय लागू किया जा सकता है।
जीएसटी अप्रैल से सितंबर के बीच कभी भी लागू किया जा सकता है: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज फिक्की की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि संविधान संशोधन के मुताबिक जीएसटी को एक अप्रैल से लेकर 16 सितंबर 2017 के बीच किसी भी समय लागू किया जा सकता है। जीएसटी में केन्द्र और राज्यों में लगने वाले अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर दिया जायेगा।

जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद ने सभी 10 मुद्दों को सुलझा लिया है और केवल एक मुद्दा बचा है। यह मुद्दा कर प्रशासन के अधिकार से जुड़ा है। उन्होंने कहा, यह कारोबार से जुड़ा कर है आयकर नहीं है। लेनदेन से जुड़ा यह कर वित्तीय वर्ष के किसी भी हिस्से में लागू किया जा सकता है। इस लिहाज से इसे अमल में लाने की समयावधि संवैधानिक अनिवार्यता के मुताबिक एक अप्रैल 2017 से 16 सितंबर 2017 के बीच है। उम्मीद है कि जितना जल्दी हम इसे करेंगे उतना ही यह इस नई कर प्रणाली के लिये अच्छा होगा।

संसद में जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक के अगस्त में पारित होने के बाद सितंबर मध्य तक आधे से अधिक राज्य विधानसभाओं ने इसकी पुष्टि कर दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री अथवा उनके प्रतिनिधि शामिल हैं।

जेटली ने अधिकार क्षेत्र से जुड़े मुद्दों का जिक्र करते हुये कहा कि इन्हें अभी सुलझाया जाना है। उन्होंने कहा, संवैधानिक स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। पूरा संशोधन 16 सितंबर 2016 को अधिसूचित किया गया और यह पुरानी कराधान व्यवस्था को एक साल के लिये जारी रखने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा, इस लिहाज से 16 सितंबर 2017 को मौजूदा कर प्रणाली की जहां तक बात है वह समाप्त हो जायेगी और नई व्यवस्था नहीं होने पर केन्द्र और राज्य कोई भी कर संग्रह नहीं कर सकेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि करीब दस महत्वपूर्ण निर्णय जीएसटी परिषद की बैठक में सर्वसम्मति के साथ लिये जा चुके हैं। जिन विधेयकों को संसद और राज्य विधानसभाओं में पारित किया जाना है उन्हें तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। मुझे इन विधेयकों के पारित होने में किसी तरह की परेशानी नहीं दिखाई देती है।

जेटली का सुझाव है कि नई व्यवस्था में प्रत्येक करदाता इकाई का आकलन केवल एक ही बार होना चाहिये। इसमें केन्द्र के उत्पाद और सेवाकर और राज्यों के वैट तथा बिक्री कर को समाहित किया जा रहा है। आपके पास पहले से कर मशीनरी है। आपको तय करना है कि केन्द्र और राज्यों की इस कर मशीनरी के बीच कर आकलन बोझ को किस तरह से वितरित किया जाना है। हम किस प्रकार से केन्द्र और राज्यों के बीच अधिकारों को संतुलित कर सकते हैं।

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