अंग्रेजी मीडिया के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने ही इस मसले पर नीति आयोग से सलाह मांगी थी। जिसके जवाब में आयोग ने प्रधानमंत्री को 20 पन्नों की एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट का सार यह है कि रेल बजट अलग से पेश करना अब बंद कर दिया जाना चाहिए। पीएमओ इस सिफारिश पर जल्दी ही अमल कर सकता है। इस बारे में उसकी आर्थिक विभाग, वित्त सचिव और कैबिनेट सचिव से बात हो चुकी है।
आयोग के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने रिपोर्ट में कहा है कि ब्रिटिश राज के समय से चली आ रही इस परंपरा को ढोते रहने का कोई मतलब नहीं है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कैसे रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जा सकता है। रिपोर्ट में इसे बेकार का खर्च बताया गया। आयोग के एक और अर्थशास्त्री किशोर देसाई ने कहा कि रेल बजट कभी अपने उद़देश्य को पा नहीं सका। यह एक तरह से बोझ बन गया।