इसके अलावा विभाग ने अगले साल से करदाताओं से कई और जानकारियां मांगने का भी प्रावधान रखा है। मसलन, विदेश यात्रा, विदेशी संपत्तियों और बैंक खातों का विवरण देना इस साल से अनिवार्य हो जाएगा।
आयकर विभाग की शीर्ष नीति निर्धारक संस्था सीबीडीटी ने वित्त वर्ष 2015-16 से एक नया कॉलम भी शुरू किया है जहां आयकर रिटर्न भरने वाला व्यक्ति अपना आधार नंबर दर्ज कर सकता है। इसके अलावा टैक्सपेयर को यह भी बताना होगा कि पिछले साल में कितने बैंक खाते खोले या बंद किए गए। उन बैंक खातों के बारे में भी जानकारी देनी होगी, जहां टैक्सपेयर हस्ताक्षरकर्ता अथॉरिटी थे।
आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ई-रिटर्न की प्रमाणिकता जांचने के लिए एक नए प्रकार का ईवीसी (इलेक्ट्रौनिक वेरिफििकेशन कोड) शुरू किया गया है। इस सुविधा को जल्द ही विभाग की वेबसाइट पर ई-फाइलिंग लिंक से जोड़ दिया जाएगा। करदाताओं को अब बंगलूरू स्थित सीपीसी विभाग में आईटीआर-पांच का प्रपत्र भेजने की भी जरूरत नहीं होगी।
आयकर विभाग को करदाता अब अपनी अचल संपत्तियों, कंपनियों में निवेश तथा देश से बाहर बनाए गए ट्रस्टों की भी जानकारी देंगे। करदाताओं के बारे में नई जानकारी पाने का यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे कालेधन जुटाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है। आयकर विशेषज्ञों का मानना है कि पहले भी करदाता विदेशी दौरे करने के बाद आयकर अनिवार्य रूप से भरते थे, चाहे उनकी आय कर दायरे में आती हो या नहीं। उनका यह भी कहना है कि इतनी सारी जानकारी मांगने पर करदाताओं के लिए रिटर्न भरना मुश्किल भरा काम हो सकता है।