माना जा रहा है कि ब्याज दरें बढ़ने के बाद संस्थागत विदेशी निवेश भारतीय शेयर बाजारों के बजाय वापस अमेरिका का रुख कर सकते हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निदेशक मंडल की अध्यक्ष जेनेट येलेन ने संवाददाताओं से कहा, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी को यकीन है कि अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी रहेगी। आर्थिक सुधार ने लंबा सफर तय किया है हालांकि यह पूरा नहीं हुआ है। इस पहल के साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को वित्तीय संकट से उबारने के लिए शून्य के करीब रखी गईं ब्याज दरों का सिलसिला थम गया है। अमरीका में वर्ष 2008 से ही ब्याज दर शून्य फीसदी की आसपास बनी हुई थीं।
येलेन कहा कि फेडरल रिजर्व यह भी मानता है कि रोजगार बहाली, आय बढ़ाने और करोड़ों अमेरिकियों की आर्थिक मुश्किलें कम करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। फेड प्रमुख की राय है कि अमेरिका में ब्याज दरों को सामान्य स्तर पर ले जाने की प्रक्रिया धीरे-धीरे ही आगे बढेगी, हालांकि भावी नीतिगत पहलें निश्चित तौर पर इस पर निर्भर करेंगी कि अर्थव्यवस्था अपने अधिकत रोजगार और दो प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्यों के अनुरूप कैसा प्रदर्शन करती है।
चुनौती से निपटने के लिए तैयार है भारत: वित्त मंत्रालय
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी से निपटने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है।आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने ट्विटर पर कहा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी और इसमें धीरे-धीरे और बढ़ोतरी का उल्लेख अनुमान के अनुरूप है। भारत पूरी तरह तैयार है।
दास ने कहा अनश्चितता खत्म होने और भविष्य के लिए समावेशी परिदृश्य से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नीति निर्माताओं को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व का अर्थव्यवस्था में सुधार का भरोसा भारतीय निर्यात विशेष तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है। फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की खबर के बाद रुपया 13 पैसे चढ़कर 66.60 पर पहुंच गया। इसके अलावा बंबई शेयर बाजार का सूचकांक संसेक्स शुरुआती कारोबार के दौरान 131.43 अंक चढ़कर 25,625.80 पर पहुंच गया।
भारत से पूंजी निकासी का जोखिम नहीं
आर्थिक मामलों के सचिव दास ने कहा कि अमेरिका में नीतिगत ब्याज दर बढ़ाए जाने के बाद भी भारत से पूंजी निकासी का जोखिम नहीं है। उन्होंने कहा, हमें ध्यान में रखना चाहिए भारत का आयात बिल काफी कम है, निश्चित तौर पर हमें कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट का फायदा हो रहा है। इसलिए स्थानीय बाजार से विदेशी पूंजी की उल्लेखनीय निकासी की आशंका नहीं है। यह एेसा कदम है जिसके लिए उभरते बाजार वाले देश अच्छी तरह तैयार थे। दास ने कहा कि कुल मिलाकर भारत का वृहत्-आर्थिक संतुलन और चालू खाते का घाटा तथा राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में हैं।