फिलहाल देश के विभिन्न भागों में बीटी कपास बीज अलग-अलग दरों पर बेची जाती है। पंजाब और हरियाणा में 450 ग्राम के पैकेट का मूल्य 1,000 रुपये है जबकि महाराष्ट्र में 830 रुपये और आंध्र प्रदेश समेत छह राज्यों में 930 रुपये है। सात दिसंबर को जारी अधिसूचना में कृषि मंत्रालय ने कहा कि जीन संवर्धित मौजूदा तथा भविष्य के कपास बीजों के साथ-साथ अन्य कपास बीजों के बिक्री मूल्य का एक समान नियमन करने के लिये कपास बीज कीमत (नियंत्रण) आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि आदेश का मकसद किसानों को कपास बीज निष्पक्ष, उचित और सस्ती मूल्य पर उपलब्ध कराने के साथ देश भर में कपास बीजों की कीमत एक समान रखना है।
इससे पहले इस बारे में किसानों तथा भारतीय राष्ट्रीय बीज संगठन ने बीटी कपास तथा अन्य किस्मों के बिक्री मूल्य के नियमन के लिये मंत्रालय को ज्ञापन दिया था। अधिसूचना के अनुसार कपास बीज का एमआरपी हर साल 31 मार्च या उससे पहले सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा और यह अगले वित्त वर्ष के लिए लागू होगा। एक सात सदस्यीय समिति बीज मूल्य, एक बारगी रायल्टी (प्रजाति मूल्य), ट्रेड मार्जिन तथा अन्य कर समेत लाइसेंस शुल्क के आधार पर कपास बीज के एमआरपी की सिफारिश करेगी।
जहां राष्ट्रीय बीज संगठन ने इस फैसले का स्वागत किया है वहीं माहिको मोनसैन्टो बायोटेक इंडिया लि. (एमएमबीएल) ने इस पर नाखुशी जताई है। एमएमबीएल मोनसैंटो इंडिया की संयुक्त उद्यम इकाई है। एमएमबीएल के प्रवक्ता ने कहा कि कीमत एवं लाइसेंस शुल्क के नियमन के आदेश नवप्रर्वतन प्रभावित होगा और किसान नई प्रौद्योगिकी तथा अपने कच्चे माल के लिये प्रतिस्पर्धी बाजार से वंचित होंगे। उसने कहा कि एमएमबीएल को उम्मीद है कि सरकार इस बारे में सभी संबद्ध पक्षों की राय लेगी और भारतीय कृषि में नवप्रवर्तन को निरंतर बढ़ावा देगी।
वहीं दूसरी तरफ भारतीय राष्ट्रीय बीज संगठन (एनएसएआई) के अध्यक्ष एम प्रभाकर राव ने कहा, इससे किसान और बीज उद्योग दोनों को लाभ होगा। अगर पूरे देश में एक समान मूल्य हो तो यह बेहतर होगा।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    