Advertisement

दस फीसदी की विकास दर असंभव नहीं : जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताया है कि सरकार की ओर से किए जा रहे आर्थिक सुधारों, नीतिगत बदलावों, बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में धन का प्रवाह बढ़ाने तथा संभावित अच्छे मॉनसून के साथ 10 फीसदी की विकास दर असंभव नहीं है।
दस फीसदी की विकास दर असंभव नहीं : जेटली

अमेरिकी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नौ दिनों की यात्रा पर वाशिंगटन पहुंचे जेटली ने कहा, ‘यह (10 फीसदी विकास दर) यथोचित संभव है। अमेरिकी थिंक टैंक अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में ‘पुटिंग इंडिया बैक आॅन टैक ए पाथवे टू डबल डिजिट ग्रोथ’ विषय पर अपने संबोधन में जेटली ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम उस लक्ष्य तक पहुंचे, लेकिन इससे भी ज्यादा अहम है कि हम इसे कुछ वर्षों तक कायम रखें।’

उन्होंने कहा, ‘अगर हम इसे कुछ वर्षों तक कायम रख पाते हैं तो भारत के संदर्भ में मेरा मानना है कि हम इसका सीधा फायदा उठा सकेंगे। इससे अधिक नौकरियां, बेहतर अर्थव्यवस्था होगी और उम्मीद है कि अगले 10 वर्षों में गरीबी का स्तर गिरेगा जहां इसका अधिक असर होने वाला है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह सकता कि भारत की विकास दर का आंकड़ा क्या होगा। परंतु मैं निश्चित तौर पर यह मानता हूं कि साढ़े सात फीसदी की मौजूदा विकास दर भारत की क्षमता के अनुकूल नहीं है। इस साल हम आठ फीसदी की विकास दर छूने की उम्मीद करते हैं।’

जेटली ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से लिए गए सभी नीतिगत बदलावों और बुनियादी ढांचे, कृषि एवं उद्योग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश का असर महसूस होने के साथ ही अच्छी खासी विकास दर हो सकती है।

वित्त मंत्राी ने कहा कि अगर महंगाई हल्के स्तर पर बनी रहती है तो तार्किक रूप से ब्याज दरों के कम होने की उम्मीद की जा सकती है, जिसका सीधा असर होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

उन्होंने कहा, ‘अगर इन वैश्विक पहलुओं का मिश्रित प्रभाव होता है तो मुझे लगता है कि आठ से 10 फीसदी की विकास दर पर पहुंचने का सफर असंभव नहीं रह जाएगा। पिछले साल खराब मानसून और इस साल मार्च में दूसरे चरण में फसलों की बर्बादी की पृष्ठभूमि में भारत ने सात फीसदी से अधिक की विकास दर हासिल की है। विनिर्माण क्षेत्र लगभव ठहर सा गया था और विकास दर करीब पांच फीसदी थी।’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘अब बुनियादी ढांचे में निवेश किए जाने और विनिर्माण क्षेत्र को मदद के संदर्भ में सरकारों की अपनी वित्तीय नीति अपनाने को देखते हुए इस क्षेत्रा में महत्वपूर्ण प्रगति संभव है। एेसे में विनिर्माण क्षेत्रा पर केंद्रित मेक इन इंडिया कार्यक्रम, कोयला खदानों की नीलामी संबंधी कदमों के संदर्भ में मेरा मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत का विनिर्माण क्षेत्रा महत्वपूर्ण रूप से बढ़ने वाला है। सरकार को अभी कई काम करने हैं और वह जीएसटी को लेकर सकारात्मक है।’

जेटली ने उम्मीद जताई कि इस साल मानसून बेहतर रहेगा और कृषि का प्रदर्शन अच्छा रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कम से कम एक प्रतिशत योगदान करने की क्षमता है। पिछले साल सकल घरेलू उत्पाद के लिहाज से भारत की वृद्धि दर पिछले साल 7.3 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा राजकोषीय घाटे को हमने छह प्रतिशत के उच्चतम स्तर से घटाकर चार प्रतिशत पर लाया। हमारा चालू खाते का घाटा पिछली तिमाही में 0.2 प्रतिशत था जो हमारे लिए काफी उत्साहजनक आंकड़ा था। पूंजी निर्माण सुधरा है। बुनियादी ढांचे पर इसका असर शुरू ही होने वाला है। बिजली क्षेत्रा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। भूमि विधेयक मुश्किल चुनौती है, मुझे लगता है कि हमें संघर्ष करना होगा और भूमि विधेयक के फायदे बताने होंगे क्येांकि यह भारत के ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है।

वित्त मंत्री ने कहा हमारे पास कई अन्य सुधार कार्यक्रम प्रक्रिया में हैं .. जैसे, दिवालिया अदालत, भारत में कारोबार शुरू करने से जुड़ी अनिवार्य मंजूरियों की संख्या कम करना, सार्वजनिक खरीद कानून, बड़ी परियोजनाओं से जुडे़ विवादों की तेजी से सुनवाई आदि। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान समेत सरकार के सामाजिक कार्यक्रम जनांदोलन बन गए हैं और इसलिए इनके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad