नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान हुए कारोबारी समझौते से सबसे ज्यादा फायदा अडानी और भारती समूह को पहुंचने की उम्मीद है। शनिवार को शंघाई में भारत और चीन की कंपनियों के बीच 22 अरब डॉलर के 26 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इनमें सर्वाधिक समझौते अडानी और भारती समूह से जुड़े हैं। इन समझौतों के तहत ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, इस्पात और छोटे व मझौले उद्योगों से जुड़ी परियोजनाओं पर भारत व चीन की कंपनियां मिलकर काम करेंगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडो-चाइना बिजनेस फोरम की बैठक में चीन की तमाम नामी कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता दिया था। इस दौरान अलीबाबा, हुवावे, शंघाई अरबन कंस्ट्रक्शन जैसी कंपनियों के प्रमुख मौजूद थे।
चीन की कंपनियों के साथ हुए समझौते में अडानी समूह की अहम हिस्सेदारी रही है। समूह ने चीन की कंपनियों के साथ ऊर्जा, बंदरगाह, विशेष आर्थिक क्षेत्र और इंडस्ट्रियल पार्क से जुड़े कई समझौते किए हैं। इनमें चाइनीज पोर्ट के साथ मुंद्रा पोर्ट और सेज को वित्तीय सहायता मुहैया कराने का समझौता सबसे महत्वपूर्ण है। अडानी के अलावा भारती समूह को चीन के दो बैंकों ने 2.5 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया है। इसकी मदद से भारती समूह 20 देशों में अपने डेटा नेटवर्क का विस्तार कर सकेगा। गुजरात में सोलर पावर और इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट के लिए वेल्सपॉन ग्रुप ने भी दो समझौते किए हैं। इनके अलावा एस्सेल ग्रुप, सन ग्रुप, गुजरात सरकार, जिंदल स्टील, इंफोसिस, विप्रो, जीएमआर और एनआईआईटी ने भी एक-एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
बीजिंग में भारतीय दूतावास ने शनिवार को हुए इन समझौतों के बारे में बयान में कहा कि 22 अरब डॉलर के 26 समझौते हुए हैं। ये समझौते नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली, बुनियादी ढांचा, इस्पात, छोटे और मझोले उद्यमों सहित विभिन्न क्षेत्रों में हुए हैं। अडानी समूह ने बिजली, बंदरगाह विशेष आर्थिक क्षेत्र, औद्योगिक पार्क और गैस बिजली उत्पादन के क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।