मैगी में सीसे की मात्राा स्वीकार्य सीमा से अधिक पाए जाने के बाद इस उत्पाद पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इससे नेस्ले को जून के बाद से करीब 450 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। कंपनी को करीब 30,000 टन इंस्टैंट नूडल्स को नष्ट भी करना पड़ा था। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वह मैगी उत्पादन के मौजूदा फार्मूले को कायम रखेगी और इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले तत्वों में बदलाव नहीं लाएगी।
नेस्ले इंडिया के प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा, हम प्रयास करेंगे और उससे कुछ बेहतर लाने का प्रयास करेंगे। हालांकि, मैं इसे इससे पहले करना चाहता हूं, देखते हैं क्या होता है।नारायणन ने कहा कि अदालत के निर्देशानुसार, पंजाब, हैदराबाद और जयपुर में नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फाॅर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज यानी एनएबीएल से मान्यता प्राप्त तीन स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में मैगी के नमूनों का परीक्षण कराया जाएगा। यह सब काम होने या मंजूरियां मिलने में सितंबर मध्य तक का समय लगेगा। संभवत: अगली तिमाही में कंपनी मैगी को वापस लाने का प्रयास करेगी।