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डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से कंपनियों को भारी नुकसान की आशंका

राजधानी में नए डीजल वाहनों के रजिस्‍ट्रेशन पर प्रतिबंध के आदेश की चलते पहले से बुक वाहनों की आपूर्ति को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है। इससे वाहन कंपनियों को हजारों करोड़ रपये के तात्कालिक नुकसान की आशंका है। इस बारे में कंपनियों ने सरकार से गुहार लगाई है।
डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से कंपनियों को भारी नुकसान की आशंका

वाहन कंपनियां चाहती हैं कि सरकार यह तत्काल स्पष्ट करे कि जिन वाहनों के लिए ग्राहकों ने आंशिक या पूर्ण भुगतान पहले ही कर दिया है, उनके पंजीकरण व आपूर्ति का क्या होगा? इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी के शोरूमों में भेजे गए वाहनों में भी भारी नुकसान की आशंका है। आमतौर पर वाहन कंपनियां दिसंबर की इस अवधि में ग्राहकों को रिझाने के लिए भारी छूट आदि की घोषणा करती है ताकि साल समाप्त होने से पहले अधिक से अधिक वाहन बेचे जा सकें।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को आदेश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में डीजल वाले वाहनों के पंजीकरण पर तत्काल रोक लगे। इसके साथ ही एनजीटी ने कहा है कि 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों के पंजीकरण का नवीकरण नहीं किया जाए। इससे वाहन उद्योग में भारी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।

औद्योगिक अनुमानों के अनुसार एनजीटी के इस आदेश का तात्कालिक असर महंगी कारों सहित हजारों डीजल वाहनों पर होगा जिनकी दिल्ली के ग्राहकों ने पहले ही बुकिंग करा रखी है। इसके लिए वे पूर्ण या आंशिक भुगतान भी कर चुके हैं। इन वाहनों की आपूर्ति व पंजीकरण की प्रकिया चल रही है। एनजीटी के आदेश से प्रभावित होने वाले वाहनों की सही सही संख्या का आकलन तो अभी नहीं किया जा सका है लेकिन कंपनियां उन हजारों वाहनों को भी नहीं बेच पाएंगी जिन्हें वे साल के आखिरी दिनों में ऑफर और छूट आदि की मदद से बेचना चाहती थीं। 

साल के अंत में होने वाली बिक्री को झटका 

उल्लेखनीय है कि ज्यादातर वाहन कंपनियां जनवरी में कीमतें बढ़ाती हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में ग्राहक साल के आखिर में वाहन खरीदते हैं ताकि कंपनियों द्वारा दी जा रही विशेष छूटों व योजनाओं का लाभ उठाया जा सके। हालांकि वाहन कंपनियों को उम्मीद है कि एनजीटी के आदेश का कार्यान्वयन करते समय उन वाहनों के भविष्य पर भी विचार किया जाएगा जो कि प्रतिबंध के आदेश से पहले ही शोरूमों में आ चुके थे।

महिंद्रा एंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक पवन गोयनका ने कहा, जहां तक डीलरों को निर्देश का सवाल है, हम भ्रम में हैं। हम नहीं जानते कि हमें दिल्ली में क्या करना होगा। मारति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि वे इस मामले में कुछ भी टिप्पणी से पहले आदेश को ब्यौरे में देखना चाहेंगे।

दिल्‍ली में पंजीकृत होने वाले 30 फीसदी वाहन डीजल वाले 

वाहन क्षेत्र के एक विश्लेषक के अनुसार दिल्ली में औसतन हर दिन लगभग 1400-1500 वाहन पंजीकृत होते हैं जिनमें से 30 प्रतिशत डीजल वाले होते हैं। अनेक ग्राहकों ने वाहन तो खरीद लिए हैं लेकिन उनका पंजीकरण अभी नहीं हुआ है। गोयनका ने कहा,उनका क्या होगा, मैं नहीं जानता। दिल्ली में पहले ही शोरूम में आ चुके वाहनों का क्या होगा, हमें नहीं पता। गोयनका ने कहा, इस आदेश से अनेक सवाल सामने आए हैं। हमें उम्मीद है कि भारत सरकार कुछ स्पष्टीकरण जारी करेगी कि एनजीटी के आदेश का कार्यान्वयन कैसे होगा क्योंकि इससे फौरी तौर पर अनेक मुद्दे उठे हैं।

हुंदै मोटर इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (विपणन एवं बिक्री) राकेश श्रीवास्तव ने कहा, हमारे चैनल पार्टनरों के समक्ष उन वाहनों के संबंध में ग्राहकों की चिंताओं को दूर करने की बड़ी चुनौती है जिनके लिए भुगतान पहले ही स्वीकार किया जा चुका है। इनके पंजीकरण व डिलीवरी का क्या होगा। रैनों इंडिया आपरेशंस के सीईओ सुमित साहनी ने कहा, ग्राहक भ्रमित हैं। एनजीटी के इस तदर्थ व अचानक उठाए गए कदम से फिलहाल हर कोई रूका हुआ है। हम इंतजार कर रहे हैं और देख रहे हैं।

 

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