राष्ट्रीय शर्म का विषय बने दिसंबर, 2012 के निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने साल 2013 के बजट में एक हजार करोड़ रुपये के निर्भया फंड का ऐलान किया गया था। अगले दो वर्षों में भी निर्भया फंड के लिए बजट का प्रावधान रखा गया। लेकिन अप्रैल, 2015 को पता चला कि गृह मंंत्रालय ने इस फंड का सिर्फ एक फीसदी इस्तेमाल किया है। जानकारी मिली है कि वर्ष 2013 से 2017 के दौरान निर्भया फंड के नाम पर आवंटित हुए करीब तीन हजार करोड़ रुपये में जनवरी 2017 तक सिर्फ 400 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए थे।
कई योजनाएं, असर का इंतजार
संसद की स्थायी समिति निर्भया फंड के तहत शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के धीमे क्रियान्वयन पर संबंधित मंत्रालय को फटकार लगा चुकी है। फंड की जिम्मेदारी उठाने वाले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस फंड के तहत अभी तक 2,195.97 करोड़ रुपये के 18 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 2,187.47 करोड़ के 16 प्रस्तावों को स्वीकृति दी जा चुकी है।
500 करोड़ के सीसीटीवी कैमरे
रेल यात्रा को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए निर्भया फंड से 500 करोड़ रुपये इंटीग्रेटेड इमरजेंसी रिस्पांस मैनेजमेंट सिस्टम पर खर्च करने की योजना है। इसी तरह 321.69 करोड़ रुपये गृह मंत्रालय ने इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम के लिए रखा है। लेकिन चार साल गुजरने के बाद भी निर्भया फंड से जुड़ी बहुत-सी योजना प्लानिंग के स्तर पर हैं। जमीन पर इनका असर देेेेखनेे के लिए अभी इंतजार करना हाेेगा
सुप्रीम कोर्ट से लग चुकी है फटकार
निर्भया फंड के उपयोग में ढिलाई के मुद्देे पर पिछले साल सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर चुका है। इसके बाद हरकत में आई में केंद्र सरकर ने रेलगाड़ियाेें में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। निर्भया फंड के तहत ही महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने महिला पुलिस वालंटियर, यूनिवर्सल वूमल हेल्पलाइन, सखी सेंटर जैसी योजनाएं भी शुरू की हैं। अभी तक देश में 186 सखी सेंटर खाेेलने की मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें से 121 सेंटर खुल चुके हैं।