रिपोर्ट के मुताबिक, देश ने निर्माण परमिट, कर्ज हासिल करने और अन्य मानदंडों के मामले नाममात्र या कोई सुधार नहीं किया है। ‘डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट में भारत की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले कोई सुधार नहीं हुआ है। विभिन्न मानदंडों के आधार पर भारत 190 देशों में 130वें पायदान पर था। हालांकि पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित कर 131वां कर दिया गया है। इस लिहाज से देश ने एक पायदान का सुधार किया है।
केंद्र सरकार का कहना है कि व्यापार सुगमता के लिये प्रयास किए जा रहे हैंं। उसका लक्ष्य देश को शीर्ष 50 स्थान में लाना है। वर्ल्ड बैंक के इंडेक्स में रैंकिंग में कोई सुधार नहीं होने को लेकर मोदी सरकार ने निराशा जताई और कहा कि रिपोर्ट में उन 12 प्रमुख सुधारों पर विचार नहीं किया गया जिसे सरकार कर रही है।
अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और बेहतर गतिविधियों के बीच अंतर को मापने वाला ‘डिस्टेंस टू फ्रंटियर’के लिए 100 अंक है। इसमें भारत को इस साल 55.27 अंक मिले, जो पिछले साल 53.93 था। भारत एकमात्र देश है जिसकी रिपोर्ट में एक बॉक्स है। जिसमें जारी आर्थिक सुधारों की बातें हैं।
वर्ल्ड की डूइंग बिजनेस 2017 की सूची में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर जबकि सिंगापुर दूसरे पायदान पर है। उसके बाद क्रमश: डेनमार्क, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, नार्वे, ब्रिटेन, अमेरिका, स्वीडन तथा पूर्व यूगोस्लाव मैसिडोनिया गणराज्य का स्थान है। सूची में पाकिस्तान 144वें स्थान पर है।
ग्लोबल इंडिकेटर्स समूह निदेशक अगस्तो लोपेज क्लारोस ने बातचीत में कहा, ‘हमने देखा है कि सरकार की तरफ से व्यापार सुधार की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि हमें एक-दो साल और इंतजार करना होगा। लेकिन बदलाव की दिशा मूल रूप से काफी अहम है।’
विभिन्न क्षेत्रों में भारत की रैंकिंग सुधरी है। बिजली प्राप्त करने के मामले में भारत 51वें स्थान से 26वें स्थान पर आ गया है। इसी प्रकार, सीमाओं के पार व्यापार के मामले में रैंकिंग एक स्थान सुधरकर 143 तथा अनुबंधों को लागू करने के मामले में छह पायदान बढ़कर 172 पर पहुंच गया।