इसी बीच हमारे पड़ोसी चीन की अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी की दर से वृद्धि कर रही है। लिहाजा यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हम दुनिया की सबसे तेजी से तरक्की करती अर्थव्यवस्था अब नहीं रह जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार का 500 और 1,000 के नोटबंदी का फैसला भारत के उस दावे को अवश्य कमजोर कर देगा जिसमें यह कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से तरक्की करती अर्थव्यवस्था है। अर्थशास्त्रियों का ऐसा मानना है कि सरकार के इस कदम से देश की जीडीपी ग्रोथ रेट कम हो सकती है। इससे पहले पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा भी कह चुके हैं कि नोटबंदी से राष्ट्रीय जीडीपी में रोजाना 25,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
गौर हो कि जुलाई में विश्वबैंक ने भी साल 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.6 फीसदी की दर से बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था। हमारी अर्थव्यस्था ने 2015-16 में भी लगातार दूसरे वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था को पछाड़ते हुए 7.6 की दर से वृद्धि की थी। तब ऐसा लगा कि हमारा दुनिया में सबसे तेजी से तरक्की करती अर्थव्यवस्था का दावा निकट भविष्य में सही साबित होगा। पर अब इस पर आशंका व्यक्त की जा रही है।
नोटबंदी के बाद कुछ अन्य आर्थिक सूत्रों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को 330 बेसिस पॉइंट के आधार परजीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया है। इकोनोमिस्ट के जानकारों के मुताबिक, 'नोटबंदी के कारण कुछ समय के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में ठहराव आ जाएगा। हालांकि इससे टैक्स न देने वाले गैर संस्थागत बिजनस (जिनका जीडीपी में 40 पर्सेंट योगदान है) संस्थागत बन सकते हैं। इसलिए हमने 2018 के वित्तीय वर्ष के लिए भी भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.8 पर्सेंट कर दिया है।'
कई विश्लेषकाें ने सेंसेक्स के लक्ष्यों में भी गिरावट का अनुमान लगाया है। केयर रेटिंग्स ने कहा, 'हालांकि 2017 में जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी आएगी लेकिन संभव है कि 2018 में ऐसा नहीं होगा।'