सरकारी लेखापरीक्षक कैग ने कहा है कि इस्पात निर्माता कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) की ओर से केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए ठेकेदारों को ब्याज मुक्त अग्रिम दिए जाने से कंपनी को 156 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। इसके अलावा अगस्त 2009 से लेकर अगस्त 2014 के बीच एक खास कार्य में देरी की वजह से जल शुल्क के तौर पर 25.89 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।
कंपनी ने सीमलेस ट्यूब मिल में सिविल कार्य में 18.27 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च किया। इस खर्च को बचाया जा सकता था। कैग की आरआईएनएल के कामकाज पर संसद में गुरुवार को रखी गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि काफी समय लगने और लागत बढ़ने के बावजूद कंपनी के 12,291 करोड़ रुपये के क्षमता विस्तार कार्यक्रम को हासिल नहीं किया जा सका। रिपोर्ट में कहा गया है कि काफी समय लगाने और लागत बढ़ने के बावजूद क्षमता विस्तार का काम पूरा नहीं हो सका।