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नोटबंदी : आरएसएस के संगठन ने भी माना, कारोबार बंद होने की कगार पर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन लघु उद्योग भारती ने भी माना है कि नोटबंदी के बाद समूचे देश में छोटे व्यापारी की हालात खराब है। उनके हाथ से कारोबार जा रहा है। वेतन न दे पाने की स्थिति में कर्मचारी नौकरी छोड़कर भाग रहे हैं। सरकार चाहती है कि छोटे कारोबारी रातोंरात कैशलेस पद्धति को फॉलो करें, यह उनके लिए मुश्किल है। नोटबंदी के चलते लघु उद्योगों का उत्पादन 40 से 50 फीसदी कम हो गया है।
नोटबंदी : आरएसएस के संगठन ने भी माना, कारोबार बंद होने की कगार पर

 ऐसे में सरकार को छोटे कारोबारियों को राहत देनी होगी। अगर ऐसे हालात टिके रहे तो लघु उद्योगों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो सकता है। ये बातें लघु उद्योग भारती के कार्यकारी सम्पत्त तोशनीवाल ने वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल की उपस्थिति में कहीं। इस पर मेघवाल ने लघु उद्यमियों को आश्वासन दिया कि सरकार का सबसे अधिक ध्यान लघु उद्यमियों के हितों पर है। कैशलेस इकनॉमी से इतना डरने की जरूरत नहीं है। सरकार चाहती है कि पहले कैश, कम यानी लेस हो और फिर पूरी इकनॉमी कैशलेस हो।

नोटबंदी के बाद ब्याज दरें कम होंगी। इनकम टैक्स के मामले में लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। यह सब नोटबंदी के कारण मुमकिन हो पाएगा।

लघु उद्योग भारती के सम्पत्त ने कहा कि नोटबंदी दरअसल लघु उद्योगों के लिए एक झटका है। इसके बाद जो हालात बने, इसके चलते हमने सरकार के सामने अपनी बातें रखीं। यही कारण है कि सरकार ने हमारी मांगों को सुनने के लिए वित्त राज्य मंत्री को इस कार्यक्रम में भेजा। हम सरकार से यही कहना चाहते हैं कि देश की इकनॉमी को कैशलेस बनाना अच्छी बात है, लेकिन सरकार यह सोचे कि रातोंरात इकनॉमी कैशलेस हो जाएगी तो यह असंभव सी बात है।

कम से कम लघु उद्योग और उद्यमियों के लिए तो यह असंभव है। यहां पर ज्यादातर काम कैश में होता है। उत्पादन सीमित दायरे में होता है। लघु उद्योगों के पास ज्यादा प्रभावशाली तकनीक नहीं है। जो है, उससे उत्पादन किया जाता है। यहां पर एक तरह से रोजाना लेनदेन का काम होता है। ऐसे में अगर कैश को ही मार्केट से बाहर कर दिया तो लघु उद्योगों का क्या होगा।

इस अवसर पर वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल को नोटबंदी के बाद लघु उद्योग की गिरती वित्तीय दशा पर एक रिपोर्ट भी दिखाई गई। इस रिपोर्ट में टेक्सटाइल, कृषि से लेकर डायमंड जैसे उद्योगों और इनमें काम करने वाले लोगों की दशा को दिखाया गया। लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने मेघवाल से कहा कि कर्मचारी न होने से कई फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और कई बंद होने की कगार पर हैं। फैक्ट्रियों के मालिक अपने कर्मचारियों को कैश में वेतन देने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में कर्मचारी नौकरियां छोड़कर जा रहे हैं।

लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार को इस बात को समझना होगा कि छोटे उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों को पेमेंट कई बार रोज या सप्ताह में करना होता है। ऐसे में इस सेक्टर को कैशलेस इकनॉमी बनाने में काफी वक्त लगेगा।

 

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