एसबीआई ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, हम केंद्र सरकार से अनुषंगी बैंकों के साथ विलय की वार्ता शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मांग रहे हैं। ये सहायक बैंक हैं, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर तथा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद। इनके अलावा एसबीआई ने भारतीय महिला बैंक के भी खुद में विलय के लिए मंजूरी मांगी है। इस प्रस्ताव के तहत एसबीआई इन बैंकों के कारोबार और देनदारियों सहित परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करेगा। बैंक ने कहा कि यह फैसला शुद्ध रूप से अभी संभावना के स्तर पर है और इन अधिग्रहणों को पूरा करने को लेकर कोई निश्चिंतता नहीं है। बेहतर तरीके से कामकाज के संचालन जिससे पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके, की वजह इस फैसले के पीछे हैं। एसबीआई ने कहा कि अभी तक एक या अधिक अधिग्रहण के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
इससे पहले दिन में पांचों सहायक बैंकों के निदेशक मंडलों ने आज हुई बैठकों में अपने मातृ संगठन एसबीआई के साथ विलय का प्रस्ताव किया। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के पांच सहायक बैंकों में से स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर सूचीबद्ध हैं। एसबीआई ने सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र को 2008 में खुद में मिलाया था। उसके बाद 2010 में उसने स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का विलय किया था। एक बयान में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर ने कहा कि एसबीआई के साथ विलय वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए बोर्ड ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। स्टेट बैंक ऑफ मैसूर तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर ने भी इसी तरह के बयान जारी किए हैं। इस प्रस्ताव के बारे में एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि इस विलय से बैंक का बहीखाता बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा, जो अभी 28 लाख करोड़ रुपये है।