केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने फील्ड अफसरों को हाल ही में एक लिखित आदेश जारी करते हुए कहा है कि कर चोरों के खिलाफ मुकदमे और जुर्माने की कार्रवाई तेज करते हुए उनमें जेल जाने और सामाजिक बदनामी का भय भरना अब जरूरी हो गया है।
इसके अलावा विभाग ने अपने फील्ड अधिकारियों से प्रति माह कम से कम 25 लाख नए कर निर्धारकों काे शामिल करने को कहा है। हर दृष्टि से यह एक कठिन लक्ष्य है क्योंकि इतनी ही संख्या में हर वर्ष करदाताओं की संख्या निर्धारित होती है। सीबीडीटी ने अपने अधिकारियों से कहा है कि राजस्व वृद्धि के लिए करचोरों की तलाश करने में वे अपनी मानसिकता बदलें और करचोरों को निर्धारित सीमारेखा पार करने पर जरूरी दंड और मुकदमे का भय दिखाएं।
सन 2005-06, 2006-07 और 2007-08 में तलाशी और जब्ती के असर का विश्लेषण करने के बाद पाया गया है कि इन सख्त कार्रवाइयों के परिणाम मुकदमा और दंड के लिहाज से बेहद खराब रहे। इनमें यह भी पाया गया है कि करचोरी के ज्यादातर मामलों में जानबूझकर कर चोरी की धारा 276सी (1) के तहत मुकदमे ही दर्ज नहीं किए गए। एक अधिकारी ने बताया कि करचोरी में तलाशी अभियान कुछ संपत्तियों की जब्ती तक ही सीमित रहे और यह अभियान करचोरों के कबूलनामे पर ही आधारित था।
नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि भ्रष्ट करदाता अपनी तरफ से छोटी-मोटी वित्तीय सुधार तो कर लेते हैं लेकिन तुरंत अपने इसी अड़ियल रास्ते पर चल पड़ते हैं। यदि उन्हें जेल भेजने और संपत्ति के नुकसान का भय दिखाया जाए तो सामाजिक बदनामी से बचने के लिए ऐसे रास्ते नहीं चुनेंगे। प्रभावशाली नियम तय करने से ही प्रति माह 25 लाख नए करदाता चिह्नित किए जा सकते हैं।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    