लोकसभा में सोमवार को कॉरपोरेट टैक्स में कमी के लिए कराधान विधि कानून संशोधन विधेयक-2019 चर्चा के बाद पारित हो गया। यह विधेयक 20 सितंबर को जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। मौजूदा कंपनियों के लिए बेस कॉरपोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया है और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 25 फीसदी से 15 फीसदी कर दिया गया है। सितंबर में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कमी की घोषणा की थी और यह 28 सालों में सबसे ज्यादा कमी की गई थी।
इस दौरान हुई चर्चा का जवाब देते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद घरेलू और वैश्विक कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर को ध्यान में रखते हुए, ये संकेत मिले हैं कि कई कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर निकलना चाह रही हैं, हमने सोचा कि कॉरपोरेट टैक्स को कम के लिए लिए ये आवश्यक समय है। इसमें वृद्धि को प्रोत्साहित करने और नौकरी के विकास को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त राजकोषीय उपाय किए गए थे।
उन्होंने थाईलैंड, वियतनाम और सिंगापुर का हवाला देते हुए कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों ने निवेश को आकर्षित करने के लिए अपने कॉरपोरेट टैक्स को कम कर दिया है। बता दें कि सितबंर में एक अध्यादेश के तहत सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र की आने वाली घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट आयकर की दर घटाकर 15 फीसदी करने का फैसला लिया था।
ये हैं विधेयक की खास बातें
-इस विधेयक में घरेलू कम्पनियों को 22 प्रतिशत की दर से कर के भुगतान का विकल्प दिया गया है बशर्ते वे आय कर अधिनियम के तहत कटौती का दावा न करे।
-फिलहाल चार अरब रूपये तक के सालाना सकल करोबार वाली घरेलू कम्पनियों को 25 प्रतिशत तथा अन्य घरेलू कम्पनियों को तीस प्रतिशत आय कर देना पड़ता है।
-इस विधेयक में नई घरेलू विनिर्माण कम्पनियों को 15 प्रतिशत आय कर देने का विकल्प उपलब्ध कराया गया है बशर्ते वे निश्चित कटौती का दावा न करें।
-कोई भी कम्पनी वित्त वर्ष 2019-20 या भविष्य में किसी अन्य वित्त वर्ष में टैक्स की नई दर चुन सकती है।
-यह विकल्प चुनने के बाद कम्पनी पर अन्य सभी वर्षों में नया टैक्स सिस्टम लागू होगा।
-टैक्स नई दरों का विकल्प चुनने वाली कम्पनियों पर न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स भुगतान संबंधी प्रावधान लागू नहीं होंगे।