अमेरिका के न्यूयॉर्क में एशिया सोसायटी में अपने भाषण में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आगे की दिशा का जिक्र हुए जेटली ने कहा कि देश को अब भी ढांचागत बदलाव की काफी जरूरत है और सरकार ने प्रक्रियाओं को आसान, कारोबारी माहौल को सुगम बनाने और प्रणाली में ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए कई पहलें की हैं। जेटली ने उम्मीद जताई कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून को अगले कुछ सप्ताह में पारित कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार एक कानून को पारित करने के अंतिम चरण में है जो वाणिज्यिक ऋणग्रस्तता से संबद्ध है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने मध्यस्थता कानूनों में भी बदलाव किया है तथा कंपनी अधिनियम के मुश्किल प्रावधानों में संशोधन किया है और अगले कुछ साल में कॉरपोरेट कर को घटाकर 25 प्रतिशत पर ला दिया जाएगा।
अप्रत्यक्ष कर के संबंध में उन्होंने कहा कि भारत संसद में वस्तु एवं सेवा कर को पारित कराए जाने के अंतिम चरण में है जिसके बाद सहयोगी कानूनों के जरिये इसका कार्यान्वयन किया जाएगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इन ढांचागत बदलावों को लाने के लिए अगले कुछ साल के लिए हमारे हाथ में काफी काम है। इसके अलावा दो उल्लेखनीय चीजों पर मैं ध्यान दे रहा हूं और वे हैं बुनियादी ढांचे तथा ग्रामीण भारत में व्यय बढ़ाना। जेटली ने कहा कि ये दो क्षेत्र हैं जो पिछड़ रहे हैं और ये ही प्रमुख क्षेत्र नजर आते हैं जिन पर ध्यान रहेगा। अगले कुछ साल में अर्थव्यवस्था की दिशा भी वही होगी।
उन्होंने कहा कि विश्व के सामने फिलहाल गंभीर चुनौतियां हैं और भारत इनमें से ज्यादातर चुनौतियों से खुद को अछूता नहीं रख सकता। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि देश इस साल पिछले वित्त वर्षों के मुकाबले बेहतर आर्थिक वृद्धि दर्ज करने में कामयाब रहेगा।