चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वार भारत के लिए सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रमुख अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़िया ने कहा है कि चीन से बाहर उपयुक्त देश की तलाश कर रही बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करके भारत इस अवसर का फायदा उठा सकता है। यह भारत के लिए शानदार अवसर है।
चीन से निकल रही बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लुभाएं
न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ वार्ता करके भारत को आयातित मोटरसाइकिल और ऑटोमोबाइल्स पर शुल्क घटा देना चाहिए। वह इसके लिए अमेरिका के साथ सौदेबाजी कर सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर आ रही हैं। यह भारत के लिए बड़ा अवसर है जब वह इन कंपनियों को अपने यहां निवेश करने के लिए ला सकता है। इसके लिए उसे प्रयास करने चाहिए।
चीन में काम कर रही कंपनियों के लिए गंभीर समस्या
पानगड़िया ने सोमवार को हुई इस परिचर्चा में कहा कि वैकल्पिक देशों की तलाश कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत के लिए यह शानदार मौका है। ट्रेड वार के चलते इन कंपनियों का वेतन पर खर्च बढ़ जाएगा और अमेरिकी बाजारों में उनकी पहुंच बाधित हो जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन के स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर पिछले साल आयात शुल्क बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद दोनों देशों में ट्रेड वार शुरू हुआ है। आशंका है कि यह ट्रेड वार पूरी दुनिया में फैल सकता है। ट्रंप ने चीन के 250 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया है। इसके जवाब में चीन में भी ऐसा ही कदम उठाया है।
बाजार खोलने के लिए कर सकते हैं सौदेबाजी
नई मोदी सरकार की आर्थिक प्राथमिकताओं पर हुई परिचर्चा में पानगड़िया ने जोर देकर कहा कि अमेरिका से भारत से अपने बाजार खोलने की मांग कर रहा है। भारत के लिए यह अच्छा है। वह अपनी ओर से ही बाजार खोल सकता था लेकिन इस समय भारत के लिए अमेरिका से कड़ी सौदेबाजी करने का मौका है। उन्हें कुछ दो और बदले में उनसे कुछ लो।
हर्ले डेविडसन पर आयात शुल्क हटाने की आवश्यकता
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लुभाने के लिए श्रम और भूमि कानूनों में सुधार किया जाना चाहिए ताकि उन्हें ज्यादा लचीला बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस समय डाटा लोकलाइजेशन जैसे कुछ गतिरोध भी हैं लेकिन हर्ले डेविडसन पर शुल्क जैसे अन्य मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि हर्ले डेविडसन पर शून्य शुल्क होना चाहिए। इसमें समस्या क्या है। 70 साल के संरक्षण बाद भी आप कब तक अपने ही ग्राहकों को सजा देते रहेंगे। आज भारत में ऑटो उत्पादन पर 100 से फीसद से भी ज्यादा शुल्क लागू है। क्यों, इसका लाभ किसे मिल रहा है। इसका कोई औचित्य नहीं है। डोनाल्ड द्वारा आलोचना किए जाने के बाद भारत ने फरवरी में हर्ले डेविडसन समेत सभी आयातित मोटरसाइकिलों पर शुल्क घटाकर 50 फीसदी कर दिया था।
रुपये के अवमूल्यन से उठाए फायदा
पानगड़िया ने कहा कि भारत को शुल्क के बजाय आयात का फायदा उठाने के लिए एक्सचेंज रेट का इस्तेमाल करना चाहिए जैसा 1990 के दशक में किया गया था। रुपये का अवमूल्यन होने दिया जाए। इससे निर्यातकों के लिए दरवाजे खुलेंगे और शुल्क में रियायत की भरपाई भी हो जाएगी। इससे भारतीय उत्पाद विदेशों में आकर्षक होंगे और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
भारत-अमेरिका के बाद कारोबारी माहौल ठीक नहीं
कोलंबिया यूनीवर्सिटी में राज सेंटर ऑन इंडियन इकोनॉमिक पॉलिसीज के डायरेक्टर पानगड़िया ने कहा कि इस समय भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी माहौल निराशाजनक है। यह चिंता की बात है। आमतौर पर अमेरिका के भारत से अच्छे संबंध हैं तो भी ट्रेड वार की ओर बढ़ने की क्या आवश्यकता है।
पानगड़िया का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो तीन दिन के दौरे पर भारत आए हैं और दोनों पक्ष कारोबारी तनाव दूर करने के लिए आर्थिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। अभी हाल में अमेरिका ने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) प्रोग्राम के तहत लाभार्थी विकासशील देशों की सूची से भारत को निकाल दिया है।